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या विश्वा॑सां जनि॒तारा॑ मती॒नामिन्द्रा॒विष्णू॑ क॒लशा॑ सोम॒धाना॑। प्र वां॒ गिरः॑ श॒स्यमा॑ना अवन्तु॒ प्र स्तोमा॑सो गी॒यमा॑नासो अ॒र्कैः ॥२॥

English Transliteration

yā viśvāsāṁ janitārā matīnām indrāviṣṇū kalaśā somadhānā | pra vāṁ giraḥ śasyamānā avantu pra stomāso gīyamānāso arkaiḥ ||

Pad Path

या। विश्वा॑साम्। ज॒नि॒तारा॑। म॒ती॒नाम्। इन्द्रा॒विष्णू॒ इति॑। क॒लशा॑। सो॒म॒ऽधाना॑। प्र। वा॒म्। गिरः॑। श॒स्यमा॑नाः। अ॒व॒न्तु॒। प्र। स्तोमा॑सः। गी॒यमा॑नासः। अ॒र्कैः ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:69» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:13» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे दोनों कैसे हैं और क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजा और शिल्पीजनो ! (या) जो (विश्वासाम्) समस्त (मतीनाम्) बुद्धियों के (जनितारा) उत्पन्न करनेवाले (सोमधाना) जिनके बीच सोम धरते हैं, वे (कलशा) घट के समान वर्त्तमान (इन्द्राविष्णू) सूर्य और बिजुली जिन (वाम्) तुम दोनों में (अर्कैः) मन्त्र वा सत्कारों से (शस्यमानाः) प्रशंसा को प्राप्त होती हुई (गिरः) वाणी (गीयमानासः) सुन्दरता से गाई हुई तथा (स्तोमासः) जो स्तुति किये जाते हैं, वे सब की (प्र, अवन्तु) अच्छे प्रकार पालें, उन सबों की तुम लोग (प्र) अच्छे प्रकार रक्षा करो ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे विद्वानो ! जो वायु और बिजुली बुद्धि बढ़ाने और सब विद्याओं के धारण करनेवाले वर्त्तमान हैं, उनके अच्छे प्रकार प्रयोग से अर्थात् कार्यों में लाने से विद्या, शिक्षा तथा वाणियों की अच्छे प्रकार रक्षा करो ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तौ कीदृशौ किं कुर्यातामित्याह ॥

Anvay:

हे राजशिल्पिनौ ! या यौ विश्वासां मतीनां जनितारा सोमधाना कलशेव वर्त्तमानाविन्द्राविष्णू ययोर्वामर्कैः शस्यमाना गिरो गीयमानासः स्तोमासः सर्वान् प्रावन्तु तान् भवन्तः प्रावन्तु ॥२॥

Word-Meaning: - (या) यौ (विश्वासाम्) सर्वासाम् (जनितारा) उत्पादकौ (मतीनाम्) प्रज्ञानाम् (इन्द्राविष्णू) सूर्य्यविद्युतौ (कलशा) कुम्भाविव (सोमधाना) सोमं दधति ययोस्तौ (प्र) (वाम्) (गिरः) वाचः (शस्यमानाः) स्तूयमानाः (अवन्तु) रक्षन्तु (प्र) (स्तोमासः) ये स्तूयन्ते (गीयमानासः) सुगीताः (अर्कैः) मन्त्रैः सत्कारैर्वा ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे विद्वांसो ! यौ वायुविद्युतौ प्रजाजनकौ सर्वविद्याधारौ वर्तेते तयोः सम्प्रयोगेण विद्याशिक्षावाचः संरक्षन्तु ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे विद्वानांनो ! जे वायू व विद्युत बुद्धी वाढविणारे व सर्व विद्या धारण करणारे असतात त्यांचा उत्तम प्रकारे प्रयोग करून विद्या, शिक्षण व वाणीचे चांगल्या प्रकारे रक्षण करा. ॥ २ ॥