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वि तद्य॑युररुण॒युग्भि॒रश्वै॑श्चि॒त्रं भा॑न्त्यु॒षस॑श्च॒न्द्रर॑थाः। अग्रं॑ य॒ज्ञस्य॑ बृह॒तो नय॑न्ती॒र्वि ता बा॑धन्ते॒ तम॒ ऊर्म्या॑याः ॥२॥

English Transliteration

vi tad yayur aruṇayugbhir aśvaiś citram bhānty uṣasaś candrarathāḥ | agraṁ yajñasya bṛhato nayantīr vi tā bādhante tama ūrmyāyāḥ ||

Pad Path

वि। तत्। य॒युः॒। अ॒रु॒ण॒युक्ऽभिः॑। अश्वैः॑। चि॒त्रम्। भा॒न्ति॒। उ॒षसः॑। च॒न्द्रऽर॑थाः। अग्र॑म्। य॒ज्ञस्य॑। बृ॒ह॒तः। नय॑न्तीः। वि। ताः। बा॒ध॒न्ते॒। तमः॑। ऊर्म्या॑याः ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:65» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:6» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे स्त्री कैसी हों, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे पुरुषो ! जो कन्यायें जैसे (चन्द्ररथाः) जिनका सुवर्ण के समान रमणीयरूप है वे (उषसः) प्रभातवेलायें (अरुणयुग्भिः) जो अरुण किरणों की योजना करती हैं उन (अश्वैः) बड़ी-बड़ी किरणों से (ययुः) प्राप्त होती हैं (तत्, चित्रम्) उस आश्चर्य्य को (वि, भान्ति) विशेषता से प्रकाशित करती हैं तथा (बृहतः) महान् (यज्ञस्य) सङ्ग करने योग्य गृहस्थों के व्यवहार के (अग्रम्) अगले भाग को (नयन्तीः) प्राप्त कराती हुई (ऊर्म्यायाः) रात्रि के (तमः) अन्धकार को (वि, बाधन्ते) नष्ट करती हैं (ताः) उनके समान दुःखान्धकार को दूर करनेवाली वधुओं को तुम प्राप्त होओ ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! तुम अपने सदृश गुण-कर्म-स्वभावयुक्त प्रभातवेलाओं के समान आनन्द देनेवाली, विद्या और नम्रता आदि गुणों से सुशील, ब्रह्मचारिणी कन्याओं को प्राप्त होकर उनको निरन्तर आनन्द देकर आप आनन्द को प्राप्त होओ ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ता स्त्रियः कीदृश्यो भवेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे पुरुषा ! याः कन्या यथा चन्द्ररथा उषसोऽरुणयुग्भिरश्वैर्ययुस्तच्चित्रं वि भान्ति बृहतो यज्ञस्याऽग्रं नयन्तीरूर्म्यायास्तमो वि बाधन्ते ता इव वर्त्तमाना वधूर्यूयं प्राप्नुत ॥२॥

Word-Meaning: - (वि) (तत्) (ययुः) प्राप्नुवन्ति (अरुणयुग्भिः) येऽरुणान् किरणान् योजयन्ति तैः (अश्वैः) महद्भिः किरणैः (चित्रम्) अद्भुतं जगत् (भान्ति) (उषसः) प्रभातवेलाः (चन्द्ररथाः) चन्द्रं सुवर्णमिव रथो रमणीयं स्वरूपं यासां ताः (अग्रम्) (यज्ञस्य) सङ्गन्तव्यस्य गृहस्थव्यवहारस्य (बृहतः) महतः (नयन्तीः) प्रापयन्त्यः (वि) (ताः) (बाधन्ते) (तमः) अन्धकारम् (ऊर्म्यायाः) रात्रेः। ऊर्म्येति रात्रिनाम। (निघं०१.७) ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे नरा ! यूयं स्वसदृशगुणकर्मस्वभावा उषर्वदानन्दप्रदा विद्याविनयादिभिः सुशीला ब्रह्मचारिणीः कन्याः प्राप्य ताः सततमानन्द्य स्वयमानन्दं प्राप्नुत ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! तुम्ही आपल्या गुण, कर्म, स्वभावाप्रमाणे सुशील, ब्रह्मचारिणी कन्यांशी विवाह करून त्यांना निरंतर आनंदित करून स्वतः आनंदित व्हा. ॥ २ ॥