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अका॑रि वा॒मन्ध॑सो॒ वरी॑म॒न्नस्ता॑रि ब॒र्हिः सु॑प्राय॒णत॑मम्। उ॒त्ता॒नह॑स्तो युव॒युर्व॑व॒न्दा वां॒ नक्ष॑न्तो॒ अद्र॑य आञ्जन् ॥३॥

English Transliteration

akāri vām andhaso varīmann astāri barhiḥ suprāyaṇatamam | uttānahasto yuvayur vavandā vāṁ nakṣanto adraya āñjan ||

Pad Path

अका॑रि। वा॒म्। अन्ध॑सः। वरी॑मन्। अस्ता॑रि। ब॒र्हिः। सु॒प्र॒ऽअ॒य॒नत॑मम्। उ॒त्ता॒नऽह॑स्तः। यु॒व॒युः। व॒व॒न्द॒। आ। वा॒म्। नक्ष॑न्तः। अद्र॑यः। आ॒ञ्ज॒न् ॥३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:63» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:3» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे सभासेनाधीशो ! जो (युवयुः) तुम दोनों की इच्छा करनेवाला (उत्तानहस्तः) ऊपर को हाथ उठाये हुए (वरीमन्) अतीव उत्तम व्यवहार में (वाम्) तुम दोनों से (अन्धसः) अन्न आदि के सम्बन्ध में (सुप्रायणतमम्) उत्तमता से जाते हैं जिसमें वह (बर्हिः) अन्तरिक्ष (अकारि) प्रसिद्ध किया जाता वा दुःख से (अस्तारि) तारा जाता उसको जानके (ववन्द) वन्दना करते हैं, जो विद्यादि शुभगुणों में (नक्षन्तः) प्राप्त होते हुए (अद्रयः) मेघों के समान (वाम्) तुम दोनों की (आ, आञ्जन्) अच्छे प्रकार कामना करते हैं, उनकी तुम दोनों कामना करो ॥३॥
Connotation: - जो होम से वायु आदि पदार्थों को शुद्धकर विमान आदि यानों से अन्तरिक्ष में जाते तथा सुख और उत्तम गुणों को व्याप्त होते हुए मेघ के समान सबके सुख और उन्नतियों को चाहते हैं, वे उत्तम सुख पाते हैं ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तौ किं कुर्यातामित्याह ॥

Anvay:

हे सभासेनेशौ ! यो युवयुरुत्तानहस्तो वरीमन् वामन्धसस्सुप्रायणतमं बर्हिरकारि दुःखादस्तारि तं विज्ञाय ववन्द ये विद्यादिषु शुभगुणेषु नक्षन्तोऽद्रय इव वामाञ्जँस्तान् युवां कामयेथाम् ॥३॥

Word-Meaning: - (अकारि) (वाम्) युवाभ्याम् (अन्धसः) अन्नादेः (वरीमन्) अतिशयेन वरे (अस्तारि) तीर्य्यते (बर्हिः) अन्तरिक्षम् (सुप्रायणतमम्) सुप्रयान्ति यस्मिंस्तदतिशयितम् (उत्तानहस्तः) ऊर्ध्वबाहुः (युवयुः) युवां कामयमानः (ववन्द) वन्दति नमस्करोति (आ) (वाम्) युवाम् (नक्षन्तः) प्राप्नुवन्तः (अद्रयः) मेघा इव (आञ्जन्) कामयन्ते ॥३॥
Connotation: - ये होमेन वाय्वादीञ्छोधयित्वा विमानादिभिर्यानैरन्तरिक्षे गच्छन्ति सुखमुत्तमान् गुणांश्च व्याप्नुवन्तः सन्तो मेघवत्सर्वेषां सुखोन्नतीरिच्छन्ति ते वरं सुखं लभन्ते ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे होम करून वायू इत्यादी पदार्थांना शुद्ध करतात. विमान इत्यादी यानांनी अंतरिक्षात जातात. सुख देणाऱ्या व उत्तम गुणांनी युक्त असणाऱ्या मेघाप्रमाणे सर्वांचे सुख इच्छितात ते उत्तम सुख प्राप्त करतात. ॥ ३ ॥