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यस्त्वा॑ देवि सरस्वत्युपब्रू॒ते धने॑ हि॒ते। इन्द्रं॒ न वृ॑त्र॒तूर्ये॑ ॥५॥

English Transliteration

yas tvā devi sarasvaty upabrūte dhane hite | indraṁ na vṛtratūrye ||

Pad Path

यः। त्वा॒। दे॒वि॒। स॒र॒स्व॒ति॒। उ॒प॒ऽब्रू॒ते। धने॑। हि॒ते। इन्द्र॑म्। न। वृ॒त्र॒ऽतूर्ये॑ ॥५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:61» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:30» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह किसके तुल्य क्या करती है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (देवि) विदुषी (सरस्वति) विज्ञानयुक्ता भार्या ! (यः) जो (त्वा) तुझे (वृत्रतूर्ये) मेघ के हिंसन में (इन्द्रम्) बिजुली के (न) समान (हिते) सुख करनेवाले (धने) द्रव्य के निमित्त (उपब्रूते) कहता है, उस विद्वान् पति की तू सेवा कर ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे पुरुषो ! जैसे पतिव्रता विदुषी स्त्रियाँ तुम लोगों को सत्य ग्रहण कराकर प्रिय वचन कहती हैं, वैसे इनके साथ तुम भी हित करो ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सा किंवत् किं करोतीत्याह ॥

Anvay:

हे देवि सरस्वति भार्ये ! यस्त्वा वृत्रतूर्य इन्द्रं न हिते धन उपब्रूते तं विद्वांसं पतिं त्वं सेवस्व ॥५॥

Word-Meaning: - (यः) (त्वा) त्वाम् (देवि) विदुषी (सरस्वति) विज्ञानयुक्ते (उपब्रूते) (धने) द्रव्ये (हिते) सुखकरे (इन्द्रम्) विद्युतम् (न) इव (वृत्रतूर्ये) मेघस्य हिंसने ॥५॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। हे पुरुषा ! यथा पतिव्रता विदुष्यः स्त्रियो युष्मान् सत्यं ग्राहयित्वा प्रियं वदन्ति तथैताभिस्सह यूयमपि हितं वदत ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे पुरुषांनो ! जशा पतिव्रता स्त्रिया सत्य स्वीकार करावयास लावून तुमच्याशी गोड बोलतात तसे तुम्हीही त्यांच्याशी हितकारक बोला. ॥ ५ ॥