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त्रि॒ष॒धस्था॑ स॒प्तधा॑तुः॒ पञ्च॑ जा॒ता व॒र्धय॑न्ती। वाजे॑वाजे॒ हव्या॑ भूत् ॥१२॥

English Transliteration

triṣadhasthā saptadhātuḥ pañca jātā vardhayantī | vāje-vāje havyā bhūt ||

Pad Path

त्रि॒ऽस॒धस्था॑। स॒प्तऽधा॑तुः। पञ्च॑। जा॒ता। व॒र्धय॑न्ती। वाजे॑ऽवाजे। हव्या॑। भू॒त् ॥१२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:61» Mantra:12 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:32» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह क्या करती है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! (त्रिषधस्था) तीन समान स्थानों में स्थित (सप्तधातुः) सात प्राण आदि जिसकी धारण करनेवाले (पञ्च) पाँच प्राणों से (जाता) प्रसिद्ध (वाजेवाजे) प्रत्येक व्यवहार वा प्रत्येक साम में (हव्या) उच्चारण करने योग्य (वर्धयन्ती) वृद्धि को प्राप्त कराती (भूत्) हो, उसका युक्ति के साथ अच्छे प्रकार प्रयोग करो ॥१२॥
Connotation: - जो विद्वान् जन वाणी के योग को जानते हैं तो क्या-क्या बढ़ा नहीं सकते हैं ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सा किं करोतीत्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसः ! त्रिषधस्था सप्तधातुः पञ्च जाता वाजेवाजे हव्या वर्धयन्ती भूत्तां युक्त्या सम्प्रुयङ्ध्वम् ॥१२॥

Word-Meaning: - (त्रिषधस्था) त्रिषु समानस्थानेषु या तिष्ठति सा (सप्तधातुः) सप्त प्राणादयो धारका यस्याः सा (पञ्च) पञ्चभ्यः प्राणेभ्यः (जाता) प्रसिद्धा (वर्धयन्ती) (वाजेवाजे) व्यवहारे सङ्ग्रामे सङ्ग्रामे वा (हव्या) उच्चारणीया (भूत्) भवति ॥१२॥
Connotation: - यदि विद्वांसो वाग्योगं जानन्ति तर्हि किं किं वर्धयितुं न शक्नुवन्ति ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे विद्वान लोक वाणीचा उपयोग जाणतात ते कोणकोणत्या गोष्टी वर्धित करू शकणार नाहीत? ॥ १२ ॥