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ह॒तो वृ॒त्राण्यार्या॑ ह॒तो दासा॑नि॒ सत्प॑ती। ह॒तो विश्वा॒ अप॒ द्विषः॑ ॥६॥

English Transliteration

hato vṛtrāṇy āryā hato dāsāni satpatī | hato viśvā apa dviṣaḥ ||

Pad Path

ह॒तः। वृ॒त्राणि॑। आर्या॑। ह॒तः। दासा॑नि। सत्प॑ती॒ इति॒ सत्ऽप॑ती। ह॒तः। विश्वाः॑। अप॑। द्विषः॑ ॥६॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:60» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:28» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे कैसे हैं, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (आर्या) उत्तम गुणकर्मस्वभावयुक्त (सत्पती) सज्जन पुरुषों के व्यवहारों के पालनेवाले सूर्य्य और बिजुली (वृत्राणि) मेघ के अवयवों को जैसे वैसे (विश्वा) समस्त (द्विषः) शत्रुजनों को (अप, हतः) मारते हैं वा (दासानि) दानों को (हतः) नष्ट करते हैं वा दुःखों को (हतः) दूर करते हैं, वे सत्कार करने योग्य हैं ॥६॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो श्रेष्ठ गुणकर्मस्वभाववाले मनुष्य, सत्य धर्मनिष्ठ, आप्त सज्जनों के पालने और दुष्टों को हरनेवाले हों, उनका सदा सत्कार करो ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तौ कीदृशावित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यावार्या सत्पती सूर्य्यविद्युतौ वृत्राणीव विश्वा द्विषोप हतः। दासान्यप हतो दुःखान्यप हतस्तौ सत्कर्त्तव्यौ ॥६॥

Word-Meaning: - (हतः) हिंसकः (वृत्राणि) मेघाऽवयवान् (आर्या) उत्तमगुणकर्मस्वभावौ (हतः) (दासानि) दानानि (सत्पती) सतां पुरुषाणां व्यवहाराणां वा पालकौ (हतः) (विश्वा) अखिलान् (अप) (द्विषः) शत्रून् ॥६॥
Connotation: - हे मनुष्या ! ये श्रेष्ठगुणकर्मस्वभावा मनुष्याः सत्यधर्मनिष्ठा आप्तानां पालका दुष्टानां प्रहर्त्तारः स्युस्तान् सदा सत्कुरुत ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जी श्रेष्ठ गुण, कर्म, स्वभावयुक्त माणसे, सत्यधर्मनिष्ठ, आप्त सज्जनांचे पालक व दुष्टांचा पराभव करणारी असतात त्यांचा सदैव सत्कार करा. ॥ ६ ॥