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आ वृ॑त्रहणा वृत्र॒हभिः॒ शुष्मै॒रिन्द्र॑ या॒तं नमो॑भिरग्ने अ॒र्वाक्। यु॒वं राधो॑भि॒रक॑वेभिरि॒न्द्राग्ने॑ अ॒स्मे भ॑वतमुत्त॒मेभिः॑ ॥३॥

English Transliteration

ā vṛtrahaṇā vṛtrahabhiḥ śuṣmair indra yātaṁ namobhir agne arvāk | yuvaṁ rādhobhir akavebhir indrāgne asme bhavatam uttamebhiḥ ||

Pad Path

आ। वृ॒त्र॒ऽह॒ना॒। वृ॒त्र॒हऽभिः॑। शुष्मैः॑। इन्द्र॑। या॒तम्। नमः॑ऽभिः। अ॒ग्ने॒। अ॒र्वाक्। यु॒वम्। राधः॑ऽभिः। अक॑वेभिः। इ॒न्द्र॒। अग्ने॑। अ॒स्मे इति॑। भ॒व॒त॒म्। उ॒त्ऽत॒मेभिः॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:60» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:27» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा जन कैसे हों, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) बिजुली के समान राजजन वा (अग्ने) अग्नि के समान सभ्यजन वायु और बिजुली के समान वर्त्तमान दोनों पुरुषो ! जैसे (वृत्रहणा) मेघ को हननेवाले बिजुली के दो भाग (वृत्रहभिः) उन कर्म्मों से जिन से मेघ को मारते वा (शुष्मैः) बलों से वा (नमोभिः) अन्नादि पदार्थों से (अर्वाक्) पीछे जाते हैं, वैसे (युवम्) तुम दोनों (अकवेभिः) असङ्ख्य (राधोभिः) धनों से हम लोगों को (आ, यातम्) प्राप्त होओ। हे (इन्द्र) दुष्टविदारक वा (अग्ने) पापियों को सन्तप्त करनेवाले ! (उत्तमेभिः) श्रेष्ठ कर्मों से (अस्मे) हम लोगों के लिये सुख करनेवाले (भवतम्) होओ ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो राजा और राजमन्त्री वायु और बिजुली के समान उपकारी हों, वे असङ्ख्य धन को प्राप्त हों ॥ ५ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजाजनाः कीदृशा भवेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे इन्द्राग्ने वायुविद्युद्वद्वर्त्तमानौ ! यथा वृत्रहणा विद्युतौ वृत्रहभिः शुष्मैर्नमोभिरर्वाग्गच्छतस्तथा युवमकवेभी राधोभिरस्माना यातम्। हे इन्द्राग्ने ! उत्तमेभिः कर्मभिरस्मे सुखकरौ भवतम् ॥३॥

Word-Meaning: - (आ) (वृत्रहणा) यौ वृत्रं मेघं हतस्तौ (वृत्रहभिः) यैः कर्मभिर्वृत्रं हतस्तैः (शुष्मैः) बलैः (इन्द्र) विद्युदिव राजन् (यातम्) आगच्छतम् (नमोभिः) अन्नादिभिः (अग्ने) पावक इव सभ्यजन (अर्वाक्) पश्चात् (युवम्) युवाम् (राधोभिः) धनैः (अकवेभिः) असङ्ख्यैः (इन्द्र) दुष्टविदारक (अग्ने) पापिप्रतापक (अस्मे) अस्मभ्यम् (भवतम्) (उत्तमेभिः) श्रेष्ठैः ॥३॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यो राजाऽस्याऽमात्याश्च वायुविद्युद्वदुपकारिणः स्युस्तेऽसङ्ख्यं धनमाप्नुयुः ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे राजा व मंत्री वायू व विद्युतप्रमाणे उपकारक असतात त्यांना पुष्कळ धन प्राप्त व्हावे. ॥ ३ ॥