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ये ते॑ शु॒क्रासः॒ शुच॑यः शुचिष्मः॒ क्षां वप॑न्ति॒ विषि॑तासो॒ अश्वाः॑। अध॑ भ्र॒मस्त॑ उर्वि॒या वि भा॑ति या॒तय॑मानो॒ अधि॒ सानु॒ पृश्नेः॑ ॥४॥

English Transliteration

ye te śukrāsaḥ śucayaḥ śuciṣmaḥ kṣāṁ vapanti viṣitāso aśvāḥ | adha bhramas ta urviyā vi bhāti yātayamāno adhi sānu pṛśneḥ ||

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Pad Path

ये। ते॒। शु॒क्रासः॑। शुच॑यः। शु॒चि॒ष्मः॒। क्षाम्। वप॑न्ति। विऽसि॑तासः। अश्वाः॑। अध॑। भ्र॒मः। ते॒। उ॒र्वि॒या। वि। भा॒ति॒। या॒तय॑मानः। अधि॑। सानु॑। पृश्नेः॑ ॥४॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:6» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:8» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:1» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (शुचिष्मः) प्रकाशयुक्त विद्वान् ! (ये) जो (ते) आपके (शुक्रासः) पराक्रमयुक्त (शुचयः) पवित्र (विषितासः) व्याप्त (अश्वाः) शीघ्र चलनेवाले (क्षाम्) भूमि को (वपन्ति) बोते हैं (अध) इसके अनन्तर (ते) आप का (यातयमानः) दण्ड देता हुआ (भ्रमः) भ्रमण (उर्विया) बहुत प्रकार के प्रकाश से (पृश्नेः) अन्तरिक्ष के मध्य में (अधि) ऊपर के (सानु) विभाग में (वि, भाति) विशेष शोभित होता है, उन सब को आप उत्तम प्रकार शिक्षा दीजिये ॥४॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि अपने समीप में पवित्र और यथार्थ वक्ता पुरुषों की सदा रक्षा करें अथवा आप भी उनका सङ्ग करें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे शुचिष्मोऽग्ने विद्वन् ! ये ते शुक्रासः शुचयो विषितासोऽश्वाः क्षां वपन्ति। अध ते यातयमानो भ्रम उर्विया पृश्नेरधि सानु वि भाति तान् सर्वांस्त्वं सुशिक्षय ॥४॥

Word-Meaning: - (ये) (ते) तव (शुक्रासः) वीर्यवन्तः (शुचयः) पवित्राः (शुचिष्मः) दीप्तिमन् (क्षाम्) भूमिम् (वपन्ति) (विषितासः) व्याप्ताः (अश्वाः) आशुगामिनः (अध) (भ्रमः) भ्रमणम् (ते) तव (उर्विया) बहुरूपया दीप्त्या (वि) (भाति) (यातयमानः) दण्डं प्रयच्छन् (अधि) (सानु) विभागे (पृश्नेः) अन्तरिक्षस्य मध्ये ॥४॥
Connotation: - मनुष्यैः स्वसमीपे पवित्रा आप्ताः पुरुषाः सदैव रक्षणीयाः, स्वयं वा तत्सङ्गं कुर्य्युः ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसांनी आपल्याजवळ असलेल्या पवित्र विद्वान माणसांचे सदैव रक्षण करावे किंवा स्वतःही त्यांचा संग करावा. ॥ ४ ॥