Go To Mantra

यदिन्द्रो॒ अन॑य॒द्रितो॑ म॒हीर॒पो वृष॑न्तमः। तत्र॑ पू॒षाभ॑व॒त्सचा॑ ॥४॥

English Transliteration

yad indro anayad rito mahīr apo vṛṣantamaḥ | tatra pūṣābhavat sacā ||

Pad Path

यत्। इन्द्रः॑। अन॑यत्। रितः॑। म॒हीः। अ॒पः। वृष॑न्ऽतमः। तत्र॑। पू॒षा। अ॒भ॒व॒त्। सचा॑ ॥४॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:57» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:23» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:4


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या जानना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यत्) जो (वृषन्तमः) अतीव वर्षा करनेवाला (इन्द्रः) बिजुली रूप अग्नि (रितः) अपनी कक्षाओं में घूमनेवाली (महीः) भूमि और (अपः) जलों को (अनयत्) पहुँचाता है (तत्र) वहाँ (पूषा) भूमि (सचा) संयुक्त (अभवत्) होती है, उसको तुम लोग जानो ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो बिजुली पृथिवी और जल के बीच स्थिर हुई सबको समय समय पर प्रतिस्थान पहुँचाती है, उसके साथ पृथिवी वर्त्तमान है, उसको जान कलायन्त्रों से उसे उठा सब कामों को सिद्ध करो ॥४॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं वेदितव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यद्यो वृषन्तम इन्द्रोरितो महीरपोऽनयत्तत्र पूषा सचाऽभवत्तं यूयं विजानीत ॥४॥

Word-Meaning: - (यत्) यः (इन्द्रः) विद्युत् (अनयत्) नयति (रितः) गन्त्रीः (महीः) भूमीः (अपः) जलानि (वृषन्तमः) अतिशयेन वृष्टिकर्त्ता (तत्र) (पूषा) भूमिः (अभवत्) भवति (सचा) समवेता ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्या ! या विद्युत् पृथिव्युदकस्था सर्वं यथासमयं यथास्थानं नयति यया संयुक्ता पृथिवी वर्त्तते तां विज्ञाय कलायन्त्रैरुद्घाट्य सर्वाणि कार्याणि साध्नुवन्तु ॥४॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो ! जी विद्युत पृथ्वी व जलामध्ये स्थिर असून सर्वांना वेळोवेळी प्रत्येक स्थानी पोचविते. तिच्याबरोबर पृथ्वी असतेच हे जाणून कलायंत्रातून तिचा उपयोग करून सर्व काम सिद्ध करा. ॥ ४ ॥