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इ॒मं च॑ नो ग॒वेष॑णं सा॒तये॑ सीषधो ग॒णम्। आ॒रात्पू॑षन्नसि श्रु॒तः ॥५॥

English Transliteration

imaṁ ca no gaveṣaṇaṁ sātaye sīṣadho gaṇam | ārāt pūṣann asi śrutaḥ ||

Pad Path

इ॒मम्। च॒। नः॒। गो॒ऽएष॑णम्। सा॒तये॑। सी॒स॒धः॒। ग॒णम्। आ॒रात्। पू॒ष॒न्। अ॒सि॒। श्रु॒तः ॥५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:56» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:22» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् क्या करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (पूषन्) पुष्टि करनेवाले ! जिससे आप (आरात्) समीप वा दूर से (श्रुतः) सुने हुए (असि) हो इससे (सातये) संविभाग करने के लिये (नः) हमारे (इमम्) इस (गवेषणम्) वाणी आदि पदार्थों की प्रेरणा करनेवाले को तथा (गणम्) अन्य पदार्थों के समूह को (च) भी (सीषधः) साधो ॥५॥
Connotation: - हे विद्वन् ! जिससे आप आप्त विद्वानों के गुणों से युक्त हैं, इससे हम मनुष्यों के सङ्घों को विद्वान् करो ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वान् किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे पूषन् ! यतस्त्वमाराच्छ्रुतोऽसि तस्मात् सातये न इमं गवेषणं गणं च सीषधः ॥५॥

Word-Meaning: - (इमम्) (च) (नः) अस्माकम् (गवेषणम्) गवां वाचादीनामीषणं येन तम् (सातये) संविभागाय (सीषधः) साधय (गणम्) समूहम् (आरात्) समीपाद्दूराद्वा (पूषन्) पुष्टिकर्त्तः (असि) (श्रुतः) योऽश्रावि सः ॥५॥
Connotation: - हे विद्वन् ! यस्माद्भवानाप्तगुणैर्युक्तोऽस्ति तस्मादस्माकं मनुष्याणां सङ्घान् विदुषः करोतु ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे विद्वानांनो ! जसे तुम्ही विद्वानांच्या गुणांनी युक्त आहात तसे आम्हालाही विद्वान करा. ॥ ५ ॥