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उ॒त धा॒ स र॒थीत॑मः॒ सख्या॒ सत्प॑तिर्यु॒जा। इन्द्रो॑ वृ॒त्राणि॑ जिघ्नते ॥२॥

English Transliteration

uta ghā sa rathītamaḥ sakhyā satpatir yujā | indro vṛtrāṇi jighnate ||

Pad Path

उ॒त। घ॒। सः। र॒थिऽत॑मः। सख्या॑। सत्ऽप॑तिः। यु॒जा। इन्द्रः॑। वृ॒त्राणि॑। जि॒घ्न॒ते॒ ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:56» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:22» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा होता है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (युजा) युक्त (सख्या) मित्र के साथ (सत्पतिः) सज्जनों की पालना करनेवाला (उत) और (रथीतमः) अतीव रथयुक्त (इन्द्रः) सूर्य के समान राजा जैसे सूर्य (वृत्राणि) मेघों को मारता है, वैसे (जिघ्नते) शत्रुओं को मारता है (सः) वह (घा) ही कृतकृत्य होता है ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो सत्य तथा सत्पुरुषों के साथ मित्रता तथा दुष्टों के साथ उदासीनता करते हैं, वे दुष्टों को निवार कर श्रेष्ठों का स्वीकार कर सकते हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृशो भवतीत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो युजा सख्या सत्पतिरुत रथीतम इन्द्रो यथा सूर्यो वृत्राणि हन्ति तथा शत्रूञ्जिघ्नते स घा कृतकृत्यो भवति ॥२॥

Word-Meaning: - (उत) अपि (घा) एव। अत्र ऋचि तुनुघेति दीर्घः। (सः) (रथीतमः) अतिशयेन रथयुक्तः (सख्या) मित्रेण सह (सत्पतिः) सतां पालकः (युजा) युक्तेन (इन्द्रः) सूर्य्येव राजा (वृत्राणि) घनानिव शत्रून् (जिघ्नते) हन्ति ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्या ! ये सत्यसत्पुरुषैः सह मित्रतां दुष्टैः सहोदासीनतां कुर्वन्ति ते दुष्टान्निवार्य्य श्रेष्ठान् स्वीकर्तुं शक्नुवन्ति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जे सत्य व सत्पुरुषांबरोबर मैत्री करतात व दुष्टाबद्दल उदासीनता दाखवितात ते दुष्टांचे निवारण करून श्रेष्ठांचा स्वीकार करतात. ॥ २ ॥