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मा॒तुर्दि॑धि॒षुम॑ब्रवं॒ स्वसु॑र्जा॒रः शृ॑णोतु नः। भ्रातेन्द्र॑स्य॒ सखा॒ मम॑ ॥५॥

English Transliteration

mātur didhiṣum abravaṁ svasur jāraḥ śṛṇotu naḥ | bhrātendrasya sakhā mama ||

Pad Path

मा॒तुः। दि॒धि॒षुम्। अ॒ब्र॒व॒म्। स्वसुः॑। जा॒रः। शृ॒णो॒तु॒। नः॒। भ्राता॑। इन्द्र॑स्य। सखा॑। मम॑ ॥५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:55» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:21» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य क्या जानें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (इन्द्रस्य) बिजुली के (भ्राता) भ्राता के समान (मम) मेरा (सखा) मित्र (नः) हम लोगों के (दिधिषुम्) धारण करनेवाले को (शृणोतु) सुने और जो (स्वसुः) भगिनी के समान उषा का (जारः) निवारण करनेवाला (मातुः) माता का धारण करनेवाला है, उसको मैं (अब्रवम्) कहूँ और उसको सब जानें ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! जैसे अग्नि का मित्र वायु है, और रात्रि का निवारण करनेवाला सूर्य भी है, वैसे ही धार्मिक मेरे मित्र और मैं भी उनका मित्र होकर रात्रि के समान वर्त्तमान अविद्या का हम सब निवारण करें ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः किं जानीयुरित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! य इन्द्रस्य भ्रातेव मम सखा नो दिधिषुं शृणोतु यः स्वसुर्जारो मातुर्धर्त्ताऽस्ति तमहमब्रवं तं सर्वे विजानन्तु ॥५॥

Word-Meaning: - (मातुः) जनन्याः (दिधिषुम्) धारकम् (अब्रवम्) ब्रूयाम् (स्वसुः) भगिन्या इवोषसः (जारः) निवारयिता (शृणोतु) (नः) अस्माकम् (भ्राता) बन्धुरिव (इन्द्रस्य) विद्युतः (सखा) (मम) ॥५॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे मनुष्या ! यथाऽग्ने सखा वायुरस्ति रात्रेर्निवर्त्तकः सूर्य्यश्च तथैव धार्मिका मम सखायोऽहं च तेषां सुहृद्भूत्वा रात्रिमिव वर्त्तमानामविद्यां वयं निवारयेम ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे विद्वानांनो ! तुम्ही शरीर व आत्म्याची पुष्टी करणाऱ्या पदार्थांना जाणून त्यांचा उपयोग करा व ऐश्वर्य प्राप्त करा. ॥ ५ ॥
Footnote: या मंत्रात पूषा व आदित्य यांचे गुणवर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.