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शृ॒ण्वन्तं॑ पू॒षणं॑ व॒यमिर्य॒मन॑ष्टवेदसम्। ईशा॑नं रा॒य ई॑महे ॥८॥

English Transliteration

śṛṇvantam pūṣaṇaṁ vayam iryam anaṣṭavedasam | īśānaṁ rāya īmahe ||

Pad Path

शृ॒ण्वन्त॑म्। पू॒षण॑म्। व॒यम्। इर्य॑म्। अन॑ष्टऽवेदसम्। ईशा॑नम्। रा॒यः। ई॒म॒हे॒ ॥८॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:54» Mantra:8 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:20» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यों को किससे धन पाने योग्य है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (वयम्) हम लोग (इर्यम्) प्रेरणा देने योग्य (अनष्टवेदसम्) अक्षतविज्ञानधन तथा (ईशानम्) ईश्वरता का शील रखने और (शृण्वन्तम्) सुनने और (पूषणम्) पुष्टि करनेवाले सज्जन विद्वान् को प्राप्त होकर (रायः) धनों को (ईमहे) माँगते हैं, वैसे इसको प्राप्त होकर तुम सब धन को माँगो ॥८॥
Connotation: - जो सुपात्र और कुपात्र, विद्वान् और अविद्वान् तथा धार्मिक और अधार्मिक की परीक्षा करनेवाला हो, उसी के सकाश से पुरुषार्थ से धन पाना चाहिये ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यैः कस्माद्धनं प्राप्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथा वयमिर्यमनष्टवेदसमीशानं शृण्वन्तं पूषणं प्राप्य राय ईमहे तथैनं प्राप्य यूयं धनं याचध्वम् ॥८॥

Word-Meaning: - (शृण्वन्तम्) (पूषणम्) पुष्टिकर्त्तारम् (वयम्) (इर्यम्) प्रेरणीयम् (अनष्टवेदसम्) अनष्टविज्ञानधनम् (ईशानम्) ईशनशीलम् (रायः) (ईमहे) याचामहे ॥८॥
Connotation: - यः सुपात्रकुपात्रयोर्विद्वदविदुषोर्धार्मिकाऽधार्मिकयोः परीक्षकः स्यात्तस्मादेव पुरुषार्थेन धनं प्राप्तव्यम् ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

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Connotation: - जो सुपात्र व कुपात्र, विद्वान व अविद्वान तसेच धार्मिक व अधार्मिक यांना ओळखणारा परीक्षक असेल त्याच्या साह्याने धन प्राप्त केले पाहिजे. ॥ ८ ॥