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पू॒ष्णश्च॒क्रं न रि॑ष्यति॒ न कोशोऽव॑ पद्यते। नो अ॑स्य व्यथते प॒विः ॥३॥

English Transliteration

pūṣṇaś cakraṁ na riṣyati na kośo va padyate | no asya vyathate paviḥ ||

Pad Path

पू॒ष्णः। च॒क्रम्। न। रि॒ष्य॒ति॒। न। कोशः॑। अव॑। प॒द्य॒ते॒। नो इति॑। अ॒स्य॒। व्य॒थ॒ते॒। प॒विः ॥३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:54» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:19» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

किसका कर्त्तव्य नष्ट नहीं होता, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जिस (अस्य) इस (पूष्णः) पुष्ट करनेवाले शिल्पी विद्वान् का (चक्रम्) कलायन्त्रादि (न, रिष्यति) हिंसन नहीं करता तथा (कोशः) धनसमूह (न, अव, पद्यते) अप्राप्त नहीं होता अर्थात् प्राप्त ही होता है और (पविः) शस्त्रास्त्रविद्या (नो) नहीं (व्यथते) होती अर्थात् शत्रुजन जिसको नहीं मथते, उसी का सङ्ग हम लोग करें ॥३॥
Connotation: - जिस विद्वान् का पूर्ण बल है, जिसका एकछत्र राज्य है, जिसका कोश सब ओर से पूरा होता और शत्रुओं में जिसका शस्त्र नहीं नष्ट होता है, उसके राज्य में सब जन निर्भय होकर बसें ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

कस्य कृत्यं न नश्यतीत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यस्याऽस्य पूष्णश्चक्रं न रिष्यति कोशो नाव पद्यते पविर्नो व्यथते तस्यैव सङ्गं वयं कुर्याम ॥३॥

Word-Meaning: - (पूष्णः) पुष्टिकर्तुः शिल्पिनो विदुषः (चक्रम्) कलायन्त्रादिकम् (न) निषेधे (रिष्यति) हिनस्ति (न) (कोशः) धनसमुदायः (अव) विरोधे (पद्यते) प्राप्नोति (नो) निषेधे (अस्य) (व्यथते) (पविः) शस्त्राऽस्त्रविद्या ॥३॥
Connotation: - यस्य विदुषः पूर्णं बलमस्ति यस्यैकच्छत्रं राज्यमस्ति यस्य कोशोऽभिपूर्य्यते शत्रुषु यस्य शस्त्रं च न विनश्यति तस्य राज्ये सर्वे निर्भया निवसन्तु ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या विद्वानाचे बल पूर्ण आहे, ज्याचे राज्य एकछत्री आहे, ज्याचा कोश पूर्ण भरलेला आहे व शत्रूकडून ज्याचे शस्त्र नष्ट होत नाही त्याच्या राज्यात सर्व लोकांना निर्भयपणे निवास करावा. ॥ ३ ॥