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समु॑ पू॒ष्णा ग॑मेमहि॒ यो गृ॒हाँ अ॑भि॒शास॑ति। इ॒म ए॒वेति॑ च॒ ब्रव॑त् ॥२॥

English Transliteration

sam u pūṣṇā gamemahi yo gṛhām̐ abhiśāsati | ima eveti ca bravat ||

Pad Path

सम्। ऊँ॒ इति॑। पू॒ष्णा। ग॒मे॒म॒हि॒। यः। गृ॒हान्। अ॒भि॒ऽशास॑ति। इ॒मे। ए॒व। इति॑। च॒। ब्रव॑त् ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:54» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:19» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यों को किसका सङ्ग निरन्तर विधान करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (यः) जो विद्वान् (इमे) ये पदार्थ (एव) इसी प्रकार हैं (इति) ऐसा (ब्रवत्) कहे (उ) और (च) भी (गृहान्) गृहस्थों को (अभिशासति) सन्मुख होकर शिक्षा दे उस (पूष्णा) पुष्टि करनेवाले वैद्य विद्वान् जन के साथ हमलोग (सम्, गमेमहि) सङ्ग करें ॥२॥
Connotation: - जो विद्वान् जन निश्चय से पृथिव्यादि पदार्थों की विद्या को, अध्यापन और उपदेश से तथा हस्तक्रिया से साक्षात् कर सके तथा राजनीति आदि व्यवहारों की अनुकूलता से शिक्षा दे, उसी विद्वान् का सङ्ग हम लोग सदा करें ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यैः कस्य सङ्गः सततं विधेय इत्याह ॥

Anvay:

य इम इत्थमेवेति ब्रवदु च गृहानभिशासति तेन पूष्णा सह वयं सङ्गमेमहि ॥२॥

Word-Meaning: - (सम्) (उ) (पूष्णा) पुष्टिकर्त्रा वैद्येन सह (गमेमहि) गच्छेम (यः) (गृहान्) गृहस्थान् (अभिशासति) आभिमुख्ये शासनं करोति (इमे) (एव) (इति) (च) (ब्रवत्) ब्रूयात् ॥२॥
Connotation: - यो विद्वान् निश्चयेन पृथिव्यादिविद्याऽध्यापनोपदेशाभ्यां हस्तक्रियया च साक्षात्कर्तुं शक्नुयाद् राजनीत्यादिव्यवहाराननुशिष्यात् तस्यैव विदुषः सङ्गं वयं सदा कुर्य्याम ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - भावार्थ -जो विद्वान निश्चयपूर्वक पृथ्वी इत्यादी पदार्थविद्येला जाणतो व अध्यापन आणि उपदेशाने हस्तक्रियेद्वारे साक्षात करू शकतो, तसेच राजनीती इत्यादी व्यवहाराचे शिक्षण देतो त्याच विद्वानाची आम्ही संगती धरावी. ॥ २ ॥