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सं पू॑षन्वि॒दुषा॑ नय॒ यो अञ्ज॑सानु॒शास॑ति। य ए॒वेदमिति॒ ब्रव॑त् ॥१॥

English Transliteration

sam pūṣan viduṣā naya yo añjasānuśāsati | ya evedam iti bravat ||

Pad Path

सम्। पू॒ष॒न्। वि॒दुषा॑। न॒य॒। यः। अञ्ज॑सा। अ॒नु॒ऽशास॑ति। यः। ए॒व। इ॒दम् इति॑। ब्रव॑त् ॥१॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:54» Mantra:1 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:19» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब दश ऋचावाले चौवनवें सूक्त का आरम्भ है, इसके प्रथम मन्त्र में मनुष्यों को किसका सङ्ग चाहने योग्य है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (पूषन्) पुष्टि करनेवाले विद्वन् ! (यः) जो (इदम्) यह (एव) इसी प्रकार है (इति) ऐसा (ब्रवत्) उपदेश करे (यः) जो सत्य के (अनुशासति) अनुकूल शिक्षा दे उस (विदुषा) विद्वान् के साथ हम लोगों को (अञ्जसा) साक्षात् (सम्, नय) अच्छे प्रकार उन्नति को पहुँचाओ ॥१॥
Connotation: - हे विद्वन् ! हम लोगों को जो सत्यविद्या का उपदेश करें, उनका सत्कार कर उनके सङ्ग से हम लोग विद्वान् होकर उपदेशकर्त्ता हों ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ मनुष्यैः कस्य सङ्ग एष्टव्य इत्याह ॥

Anvay:

हे पूषन् विद्वन् ! य इदमित्थमेवेति ब्रवद्यः सत्यमनुशासति तेन विदुषा सहाऽस्मानञ्जसा सन्नय ॥१॥

Word-Meaning: - (सम्) (पूषन्) (विदुषा) (नय) (यः) (अञ्जसा) (अनुशासति) अनुशासनं करोति। अत्र बहुलं छन्दसीति शपो लुङ् न। (यः) (एव) (इदम्) (इति) (ब्रवत्) उपदिशेत् ॥१॥
Connotation: - हे विद्वन् ! अस्मान् ये सत्यपदिशेयुस्तान् सत्कृत्य तेषां सङ्गेन वयं विद्वांसो भूत्वोपदेष्टारो भवेम ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्वानांचा संग, कारागिरांची प्रशंसा, उत्तम गुणांची याचना, हिंसेचा त्याग व दानाची प्रशंसा केलेली आहे. यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे विद्वाना ! जे आम्हाला सत्य विद्येचा उपदेश करतात त्यांचा सत्कार करून, त्यांच्या संगतीत राहून आम्ही विद्वान व उपदेशक व्हावे. ॥ १ ॥