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वि पू॑ष॒न्नार॑या तुद प॒णेरि॑च्छ हृ॒दि प्रि॒यम्। अथे॑म॒स्मभ्यं॑ रन्धय ॥६॥

English Transliteration

vi pūṣann ārayā tuda paṇer iccha hṛdi priyam | athem asmabhyaṁ randhaya ||

Pad Path

वि। पू॒ष॒न्। आर॑या। तु॒द॒। प॒णेः। इ॒च्छ॒। हृ॒दि। प्रि॒यम्। अथ॑। ई॒म्। अ॒स्मभ्य॑म्। र॒न्ध॒य॒ ॥६॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:53» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:18» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा क्या करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (पूषन्) पुष्टि करनेवाले ! आप दुष्टों को (ईम्) सब ओर से (रन्धय) अति पीड़ित करो तथा (अस्मभ्यम्) हमारे लिये (हृदि) हृदय में (प्रियम्) प्यारे पदार्थ की (इच्छ) इच्छा करो (अथ) इसके अनन्तर (आरया) कोड़ा से बैलों के समान (पणेः) प्रशंसित व्यवहार करनेवाले के असम्बन्धी जनों को (वि, तुद) विशेषता से पीड़ा देओ ॥६॥
Connotation: - हे राजन् ! आप दुष्टों को दण्ड देकर श्रेष्ठों का सत्कार कर सब को श्रेष्ठ कर्मों में प्रेरणा देओ ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजा किं कुर्य्यादित्याह ॥

Anvay:

हे पूषँस्त्वं दुष्टानीम्रन्धयाऽस्मभ्यं हृदि प्रियमिच्छाऽथाऽऽरया वृषभानिव पणेरसम्बन्धिनो वि तुद ॥६॥

Word-Meaning: - (वि) (पूषन्) पुष्टिकर्त्तः (आरया) (तुद) व्यथय (पणेः) प्रशंसितव्यवहारकर्त्तुः (इच्छ) (हृदि) हृदये (प्रियम्) (अथ) (ईम्) सर्वतः (अस्मभ्यम्) (रन्धय) ॥६॥
Connotation: - हे राजंस्त्वं दुष्टान् दण्डयित्वा श्रेष्ठान् सत्कृत्य सर्वान् सत्कर्मसु प्रेरय ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे राजा ! तू दुष्टांना दंड देऊन श्रेष्ठांचा सत्कार करून सर्वांना सत्कर्माची प्रेरणा दे. ॥ ६ ॥