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परि॑ तृन्धि पणी॒नामार॑या॒ हृद॑या कवे। अथे॑म॒स्मभ्यं॑ रन्धय ॥५॥

English Transliteration

pari tṛndhi paṇīnām ārayā hṛdayā kave | athem asmabhyaṁ randhaya ||

Pad Path

परि॑। तृ॒न्धि॒। प॒णी॒नाम्। आर॑या। हृद॑या। क॒वे॒। अथ॑। ई॒म्। अ॒स्मभ्य॑म्। र॒न्ध॒य॒ ॥५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:53» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:17» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा से कौन पीड़ा देने योग्य हैं, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (कवे) विद्वन् राजन् ! आप (आरया) उत्तम कोड़ा से (पणीनाम्) द्यूत आदि व्यवहार करनेवाले पुरुषों के (हृदया) हृदयों को (परि, तृन्धि) सब ओर से मारो (अथ) इसके अनन्तर (अस्मभ्यम्) हमारे लिये (ईम्) सब ओर से दुष्टों को (रन्धय) पीड़ित करो और हमारे लिये सुख देओ ॥५॥
Connotation: - हे राजन् ! आप जो अपवित्र शिक्षा देनेवाले और छली पुरुष अपने राज्य में हों, उनको अच्छे प्रकार दण्डो, जिससे न्यायमार्ग के बीच हम लोग सुखी हों ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्नृपेण के पीडनीया इत्याह ॥

Anvay:

हे कवे ! त्वमारया पणीनां हृदया परि तृन्धि। अथाऽस्मभ्यमीं दुष्टान् रन्धयाऽस्मभ्यं सुखं देहि ॥५॥

Word-Meaning: - (परि) सर्वतः (तृन्धि) हिन्धि (पणीनाम्) द्यूतादिव्यवहारकर्त्तॄणां (आरया) प्रतोदेन (हृदया) हृदयानि (कवे) विद्वन् राजन् (अथ) (ईम्) सर्वतः (अस्मभ्यम्) (रन्धय) ॥५॥
Connotation: - हे राजन् ! त्वं येऽपूतशासनकर्त्तारः कितवाश्च स्वराज्ये स्युस्तान् सम्यग्दण्डय सतो न्यायमार्गे वर्त्तमाना वयं सुखिनः स्याम ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

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Connotation: - ज्यांच्या अंगी अपवित्रता व कपट असेल असे पुरुष आपल्या राज्यात असतील तर त्यांना चांगल्या प्रकारे दंड द्या. ज्यामुळे न्यायमार्गात राहून आम्ही सुखी व्हावे. ॥ ५ ॥