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यो रजां॑सि विम॒मे पार्थि॑वानि॒ त्रिश्चि॒द्विष्णु॒र्मन॑वे बाधि॒ताय॑। तस्य॑ ते॒ शर्म॑न्नुपद॒द्यमा॑ने रा॒या म॑देम त॒न्वा॒३॒॑ तना॑ च ॥१३॥

English Transliteration

yo rajāṁsi vimame pārthivāni triś cid viṣṇur manave bādhitāya | tasya te śarmann upadadyamāne rāyā madema tanvā tanā ca ||

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Pad Path

यः। रजां॑सि। वि॒ऽम॒मे। पार्थि॑वानि। त्रिः। चि॒त्। विष्णुः॑। मन॑वे। बा॒धि॒ताय॑। तस्य॑। ते॒। शर्म॑न्। उ॒प॒ऽद॒द्यमा॑ने। रा॒या। म॒दे॒म॒। त॒न्वा॑। तना॑। च॒ ॥१३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:49» Mantra:13 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:7» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:13


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या जानने योग्य है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यः) जो (विष्णुः) चराचर में प्रवेश होता वह जगदीश्वर (बाधिताय) पीड़ित (मनवे) मनुष्य के लिये (पार्थिवानि) पृथिवी में सिद्ध हुए (रजांसि) लोकों को (त्रिः) तीन वार (चित्) ही (विममे) रचता है (तस्य) उसके सम्बन्ध में (ते) आपके (उपदद्यमाने) समीप ग्रहण किये (शर्मन्) घर में (तना) विस्तृत (राया) धन (तन्वा, च) और शरीर के साथ हम लोग (मदेम) आनन्दित हों ॥१३॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो जगदीश्वर सब जगत् का निर्माण करके मनुष्यादिकों का उपकार करता है, उसके आश्रय से ही हम लोग धनवान् और बहुत आयुवाले हों ॥१३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं ज्ञातव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो विष्णुर्बाधिताय मनवे पार्थिवानि रजांसि त्रिश्चिद् विममे तस्य सम्बन्धे त उपदद्यमाने शर्मन् शर्मणि तना राया तन्वा च सह वयं मदेम ॥१३॥

Word-Meaning: - (यः) (रजांसि) लोकान् (विममे) रचयति (पार्थिवानि) पृथिव्यां भवानि (त्रिः) त्रिवारम् (चित्) अपि (विष्णुः) यो वेवेष्टि स जगदीश्वरः (मनवे) मनुष्याय (बाधिताय) पीडिताय (तस्य) (ते) तव (शर्मन्) शर्म्मणि गृहे (उपदद्यमाने) उपादीयमाने (राय) धनेन (मदेम) आनन्देम (तन्वा) शरीरेण (तना) विस्तृतेन (च) ॥१३॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यो जगदीश्वरः सर्वं जगन्निर्माय मनुष्याद्युपकारं करोति तस्याश्रयेणैव वयं धनवन्तश्चिरायुषो भवेम ॥१३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जो जगदीश्वर सर्व जगाची निर्मिती करून माणसांवर उपकार करतो त्याच्या आश्रयानेच आम्ही सर्वांनी श्रीमंत व दीर्घायु व्हावे. ॥ १३ ॥