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आ यु॑वानः कवयो यज्ञियासो॒ मरु॑तो ग॒न्त गृ॑ण॒तो व॑र॒स्याम्। अ॒चि॒त्रं चि॒द्धि जिन्व॑था वृ॒धन्त॑ इ॒त्था नक्ष॑न्तो नरो अङ्गिर॒स्वत् ॥११॥

English Transliteration

ā yuvānaḥ kavayo yajñiyāso maruto ganta gṛṇato varasyām | acitraṁ cid dhi jinvathā vṛdhanta itthā nakṣanto naro aṅgirasvat ||

Pad Path

आ। यु॒वा॒नः॒। क॒व॒यः॒। य॒ज्ञि॒या॒सः॒। मरु॑तः। ग॒न्त। गृ॒ण॒तः। व॒र॒स्याम्। अ॒चि॒त्रम्। चि॒त्। हि। जिन्व॑थ। वृ॒धन्तः॑। इ॒त्था। नक्ष॑न्तः। न॒रः॒। अ॒ङ्गि॒र॒स्वत् ॥११॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:49» Mantra:11 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:7» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्या क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (युवानः) युवा पुरुष (यज्ञियासः) सत्य प्रिय व्यवहार को करने योग्य हैं तथा (कवयः) सर्व शास्त्रवेत्ता (मरुतः) मनुष्य (अङ्गिरस्वत्) प्रशंसित वायुओं के समान (वरस्याम्) स्वीकार करने योग्य प्रशंसा को तथा (गृणतः) सत्य की प्रशंसा करनेवाले विद्वानों को (आ, गन्त) प्राप्त हों तथा (अचित्रम्) साधारण (वृधन्तः) बढ़ाने और (इत्था) इस प्रकार से (नक्षन्तः) व्याप्त होते हुए (नरः) नायक मनुष्य (चित्) ही (जिन्वथा) प्राप्त हों वे (हि) ही जगत्-हितैषी होते हैं ॥११॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो मनुष्य विद्वान् तथा युवावस्थावाले होकर और अच्छी क्रिया कर सब को बढ़ाते हैं, वे वृद्धियुक्त होते हैं ॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः किं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! ये युवानो यज्ञियासः कवयो मरुतोऽङ्गिरस्वद्वरस्यां गृणत आ गन्ताऽचित्रं वृधन्त इत्था नक्षन्तो नरश्चिज्जिन्वथा ते हि जगद्धितैषिणो भवन्ति ॥११॥

Word-Meaning: - (आ) (युवानः) प्राप्तयौवनाः (कवयः) सर्वशास्त्रविदः (यज्ञियासः) ये सत्यप्रियं व्यवहारं कर्तुमर्हन्ति (मरुतः) मनुष्याः (गन्त) प्राप्नुवन्तु (गृणतः) सत्यप्रशंसकान् (वरस्याम्) स्वीकर्त्तव्यां प्रशंसाम् (अचित्रम्) अनद्भुतम् (चित्) अपि (हि) यतः (जिन्वथा) प्राप्नुवन्ति। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (वृधन्तः) वर्धमानाः (इत्था) अनेन प्रकारेण (नक्षन्तः) प्राप्नुवन्तः (नरः) नायकाः (अङ्गिरस्वत्) प्रशस्ता अङ्गिरसो वायवस्तद्वत् ॥११॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। ये मनुष्या विद्वांसो युवानो भूत्वा सत्क्रियां कृत्वा सर्वान् वर्धयन्ति ते वृद्धियुक्ता भवन्ति ॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जी माणसे विद्वान व युवा बनून सत्कार्य करून सर्वांना वाढवितात तीही वर्धित होतात. ॥ ११ ॥