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ऊ॒र्जो नपा॑तं॒ स हि॒नायम॑स्म॒युर्दाशे॑म ह॒व्यदा॑तये। भुव॒द्वाजे॑ष्ववि॒ता भुव॑द्वृ॒ध उ॒त त्रा॒ता त॒नूना॑म् ॥२॥

English Transliteration

ūrjo napātaṁ sa hināyam asmayur dāśema havyadātaye | bhuvad vājeṣv avitā bhuvad vṛdha uta trātā tanūnām ||

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Pad Path

ऊर्जः। नपा॑तम्। सः। हि॒न। अ॒यम्। अ॒स्म॒ऽयुः। दाशे॑म। ह॒व्यऽदा॑तये। भुव॑त्। वाजे॑षु। अ॒वि॒ता। भुव॑त्। वृ॒धः। उ॒त। त्रा॒ता। त॒नूना॑म् ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:48» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:1» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा और प्रजाजन परस्पर कैसे वर्तें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (अयम्) यह (अस्मयुः) हम लोगों की कामना करनेवाला तथा (हव्यदातये) देने योग्य दान के लिये (अविता) रक्षा करनेवाला (भुवत्) होवे और (वाजेषु) सङ्ग्रामों में रक्षा करनेवाला (भुवत्) हो तथा (वृधः) वृद्धि करने वा रक्षा करनेवाला हो (उत) और (तनूनाम्) शरीरों का (त्राता) पालन करनेवाला हो उसको (ऊर्जः) पराक्रम के (नपातम्) न पातन कराने अर्थात् न विनाश करानेवाले की अच्छे प्रकार रक्षा कर हम सुख (दाशेम) देवें (सः, हिन) वही हमारे लिये सुख देवे ॥२॥
Connotation: - हे प्रजासेनाजनो ! जो राजा सङ्ग्राम वा असङ्ग्राम में सबकी रक्षा करनेवाला निरन्तर हो, तनुकूल वर्ताव कर हम लोग उसके लिये पुष्कल सुख देवें ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजप्रजाजनाः परस्परं कथं वर्तेरन्नित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! योऽयमस्मयुर्हव्यदातयेऽविता भुवद्वाजेष्वविता भुवत् वृधो रक्षको भुवदुत तनूनां त्राता भुवत् तमूर्जो नपातं संरक्ष्य वयं सुखं दाशेम स हिनाऽस्मभ्यं सुखं दद्यात् ॥२॥

Word-Meaning: - (ऊर्जः) पराक्रमस्य (नपातम्) अपातयितारमनाशकम् (सः) (हिन) खलु (अयम्) (अस्मयुः) अस्मान् कामयमानः (दाशेम) दद्याम (हव्यदातये) दातव्यदानाय (भुवत्) भवेत् (वाजेषु) सङ्ग्रामेषु (अविता) रक्षकः (भुवत्) भवेत् (वृधः) वृद्धिकरः (उत) (त्राता) पालकः (तनूनाम्) शरीराणाम् ॥२॥
Connotation: - हे प्रजासेनाजना ! यो राजा सङ्ग्रामेऽसङ्ग्रामे च सर्वेषां रक्षकः सततं भवेत्तदनुकूलं वर्त्तित्वा वयं तस्मै पुष्कलं सुखं दद्याम ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे प्रजा व सेनेतील लोकांनो ! जो राजा युद्ध व शांततेत सर्वांचा रक्षक असतो व सतत त्यानुसार वागतो त्याला आम्हीही खूप सुख द्यावे. ॥ २ ॥