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वरि॑ष्ठे न इन्द्र व॒न्धुरे॑ धा॒ वहि॑ष्ठयोः शताव॒न्नश्व॑यो॒रा। इष॒मा व॑क्षी॒षां वर्षि॑ष्ठां॒ मा न॑स्तारीन्मघव॒न्रायो॑ अ॒र्यः ॥९॥

English Transliteration

variṣṭhe na indra vandhure dhā vahiṣṭhayoḥ śatāvann aśvayor ā | iṣam ā vakṣīṣāṁ varṣiṣṭhām mā nas tārīn maghavan rāyo aryaḥ ||

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Pad Path

वरि॑ष्ठे। नः॒। इ॒न्द्र॒। व॒न्धुरे॑। धाः॒। वहि॑ष्ठयोः। श॒त॒ऽव॒न्। अश्व॑योः। आ। इष॑म्। आ। व॒क्षि॒। इ॒षाम्। वर्षि॑ष्ठाम्। मा। नः॒। ता॒री॒त्। म॒घ॒ऽव॒न्। रायः॑। अ॒र्यः ॥९॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:47» Mantra:9 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:31» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह राजा किन के प्रति कैसा वर्त्ताव करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (शतावन्) सेनाओं से युक्त (मघवन्) बहुत धनवाले (इन्द्र) ऐश्वर्य्यवान् राजन् ! (रायः) धन के (अर्यः) स्वामी आप (वहिष्ठयोः) अतिशय ले चलनेवाले (अश्वयोः) शीघ्र पहुँचानेवालों के (वरिष्ठे) अतिशय श्रेष्ठ (वन्धुरे) प्रेम बन्धन में वाहन से (नः) हम लोगों को (आ, धाः) सब प्रकार से धारण करिये तथा (इषम्) अन्न को (आ, वक्षि) प्राप्त हूजिये और (नः) हम लोगों को (वर्षिष्ठाम्) अतिशय वृद्ध (इषाम्) अन्न आदिकों को (मा) नहीं (तारीत्) अलग करिये ॥९॥
Connotation: - प्रजा और सेना के जनों को चाहिये कि राजा को ऐसी प्रेरणा करें कि आप हम लोगों को उत्तम वाहनों में उत्तम प्रकार बैठाकर अधिक धन प्राप्त कराइये, जिससे हम लोगों के वञ्चन को कभी मनुष्य न करें अर्थात् हम लोगों को कभी न ठगें ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स राजा कान् प्रति कथं वर्त्तेतेत्याह ॥

Anvay:

हे शतावन्मघवन्निन्द्र ! रायोऽर्यस्त्वं वहिष्ठयोरश्वयोर्वरिष्ठे वन्धुरे रथेन न आ धाः। इषमावक्षि नो वर्षिष्ठामिषां मा तारीत् ॥९॥

Word-Meaning: - (वरिष्ठे) अतिशयेन वरे (नः) अस्मान् (इन्द्र) (वन्धुरे) प्रेमबन्धने (धाः) धेहि (वहिष्ठयोः) अतिशयेन वोढ्रोः (शतावन्) शतानि बलानि विद्यन्ते यस्य तत्सम्बुद्धौ (अश्वयोः) क्षिप्रं गमयित्रोः (आ) (इषम्) (आ) (वक्षि) आवह (इषाम्) अन्नादीनाम् (वर्षिष्ठाम्) अतिशयेन वृद्धाम् (मा) (नः) अस्मान् (तारीत्) तारयेः (मघवन्) बहुधनयुक्त (रायः) धनस्य (अर्यः) स्वामी ॥९॥
Connotation: - प्रजासेनाजनैरेवं राजा प्रेरणीयो भवानस्मानुत्तमेषु यानेषु संस्थाप्य पुष्कलं धनं नयतु येनास्माकं वञ्चनं कदाचिज्जना मा कुर्य्युः ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - प्रजा व सेनेने राजाला अशी प्रेरणा करावी की, तुम्ही आम्हाला उत्तम वाहनांत बसवून पुष्कळ धन प्राप्त करून द्या, ज्यामुळे आम्हाला कुणी फसवू नये. ॥ ९ ॥