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स्वा॒दुष्किला॒यं मधु॑माँ उ॒तायं ती॒व्रः किला॒यं रस॑वाँ उ॒तायम्। उ॒तो न्व१॒॑स्य प॑पि॒वांस॒मिन्द्रं॒ न कश्च॒न स॑हत आह॒वेषु॑ ॥१॥

English Transliteration

svāduṣ kilāyam madhumām̐ utāyaṁ tīvraḥ kilāyaṁ rasavām̐ utāyam | uto nv asya papivāṁsam indraṁ na kaś cana sahata āhaveṣu ||

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Pad Path

स्वा॒दुः। किल॑। अ॒यम्। मधु॑ऽमान्। उ॒त। अ॒यम्। ती॒व्रः। किल। अ॒यम्। रस॑ऽवान्। उ॒त। अ॒यम्। उ॒तो इति॑। नु। अ॒स्य। प॒पि॒ऽवांस॑म्। इन्द्र॑म्। न। कः। च॒न। स॒ह॒ते॒। आ॒ऽह॒वेषु॑ ॥१॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:47» Mantra:1 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:30» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब एकतीस ऋचावाले सैंतालीसवें सूक्त का प्रारम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में क्या करके राजा शत्रुओं से नहीं सहने योग्य होवे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे शूरवीर जनो ! जो (अयम्) यह (स्वादुः) सुन्दर स्वाद से युक्त (किल) निश्चय करके (उत) और (अयम्) यह (मधुमान्) मधुरादि गुणों से युक्त (किल) निश्चय करके (अयम्) यह (तीव्रः) तेजस्वी और वेगयुक्त (उत) और (अयम्) यह (रसवान्) बड़ी ओषधि का प्रशंसित रसयुक्त सार है (अस्य) इसके (उतो) भी (पपिवांसम्) पीनेवाले (इन्द्रम्) राजा आदि शूरवीर को (आहवेषु) सङ्ग्रामों में (नु) शीघ्र (कः) (चन) कोई भी (न) नहीं (सहते) सहता है ॥१॥
Connotation: - जो ब्रह्मचर्य्य, जितेन्द्रियत्व और युक्त आहार-विहारों से शरीर और आत्मा के बल से युक्त होते हैं, उनको सङ्ग्रामों में सहने को शत्रु समर्थ नहीं हो सकते हैं ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ किं कृत्वा राजा शत्रुभिरसोढव्यः स्यादित्याह ॥

Anvay:

हे शूरवीरा ! योऽयं स्वादुः किल उतायं मधुमान् किलाऽयं तीव्र उतायं रसवानोषधिसारोऽस्ति। अस्योतो पपिवांसमिन्द्रमाहवेषु नु कश्चन न सहते ॥१॥

Word-Meaning: - (स्वादुः) सुस्वादयुक्तः (किलः) निश्चये (अयम्) (मधुमान्) मधुरादिगुणयुक्तः (उत) (अयम्) (तीव्रः) तेजस्वी वेगवान् (किल) (अयम्) (रसवान्) महौषधिप्रशस्तरसप्रचुरः (उत) (अयम्) (उतो) (नु) क्षिप्रम् (अस्य) (पपिवांसम्) पिबन्तम् (इन्द्रम्) राजादिकं शूरवीरम् (न) निषेधे (कः) (चन) कश्चिदपि (सहते) (आहवेषु) सङ्ग्रामेषु ॥१॥
Connotation: - ये ब्रह्मचर्य्यजितेन्द्रियत्वादियुक्ताऽऽहारविहारैः शरीरात्मबलयुक्ता भवन्ति तान् सङ्ग्रामेषु सोढुं शत्रवो न शक्नुवन्ति ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात सोम, प्रश्नोत्तर, विद्युत, राजा, प्रजा, सेना व वाद्यांनी भूषित कृत्यांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे ब्रह्मचर्य, जितेंद्रियत्व व युक्त आहार-विहाराने शरीर व आत्म्याचे बल वाढवितात त्यांना युद्धात शत्रू पराजित करण्यास समर्थ होऊ शकत नाहीत. ॥ १ ॥