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ये ग॑व्य॒ता मन॑सा॒ शत्रु॑माद॒भुर॑भिप्र॒घ्नन्ति॑ धृष्णु॒या। अध॑ स्मा नो मघवन्निन्द्र गिर्वणस्तनू॒पा अन्त॑मो भव ॥१०॥

English Transliteration

ye gavyatā manasā śatrum ādabhur abhipraghnanti dhṛṣṇuyā | adha smā no maghavann indra girvaṇas tanūpā antamo bhava ||

Pad Path

ये। ग॒व्य॒ता। मन॑सा। शत्रु॑म्। आ॒ऽद॒भुः। अ॒भि॒ऽप्र॒घ्नन्ति॑। धृ॒ष्णु॒ऽया। अध॑। स्म॒। नः॒। म॒घ॒ऽव॒न्। इ॒न्द्र॒। गि॒र्व॒णः॒। त॒नू॒ऽपाः। अन्त॑मः। भ॒व॒ ॥१०॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:46» Mantra:10 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:28» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह राजा किन को क्या करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (गिर्वणः) उत्तम प्रकार शिक्षित वाणियों से सेवा किये गये (मघवन्) बहुत धन से युक्त (इन्द्र) शत्रुओं को नाश करनेवाले ! (ये) जो (धृष्णुया) ढीठपन आदि से (गव्यता) वाणी के सदृश आचरण करते हुए (मनसा) मन से (शत्रुम्) शत्रु का (आदभुः) सब प्रकार से नाश करते हैं (अध) इसके अनन्तर इसकी सेना का (अभिप्रघ्नन्ति) सन्मुख अत्यन्त नाश करते हैं, उनके साथ (स्मा) ही (नः) हम लोगों के (तनूपाः) अपने और अन्यों के शरीरों के रक्षक (अन्तमः) समीप में स्थित (भव) हूजिये ॥१०॥
Connotation: - हे राजन् ! जो ठग आदि दुष्ट शत्रुओं के बाँधनेवाले तथा प्रजाओं के पालन में तत्पर धार्मिक जन हों, उनके विश्वास से राज्य के कृत्यों को शोभित करिये ॥१०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स राजा केषां किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे गिर्वणो मघवन्निन्द्र ! ये धृष्णुया गव्यता मनसा शत्रुमादभुरधास्य सेनामभिप्रघ्नन्ति तैस्सह स्मा नस्तनूपा अन्तमो भव ॥१०॥

Word-Meaning: - (ये) (गव्यता) गवा वाचेवाचरता (मनसा) (शत्रुम्) (आदभुः) समन्ताद्धिंसन्ति (अभिप्रघ्नन्ति) आभिमुख्ये प्रकर्षेण घ्नन्ति (धृष्णुया) प्रगल्भत्वादिना (अध) आनन्तर्ये (स्मा) एव। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (नः) अस्माकम् (मघवन्) बहुधनयुक्त (इन्द्र) शत्रुविदारक (गिर्वणः) सुशिक्षिताभिर्वाग्भिः सेवित (तनूपाः) स्वस्यान्येषां च शरीराणां रक्षकः (अन्तमः) समीपस्थः (भव) ॥१०॥
Connotation: - हे राजन् ! ये दस्य्वादिदुष्टानां शत्रूणां च निग्रहीतारः प्रजापालनतत्परा धार्मिकजनाः स्युस्तेषां विश्वासेन राज्यकृत्यादीन्यलङ्कुर्याः ॥१०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा ! जे ठक इत्यादी दुष्ट शत्रूंना बांधून ठेवणारे व प्रजेचे पालन करण्यात तत्पर धार्मिक लोक असतात त्यांच्या विश्वासावर राज्यकार्य करा. ॥ १० ॥