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नय॒सीद्वति॒ द्विषः॑ कृ॒णोष्यु॑क्थशं॒सिनः॑। नृभिः॑ सु॒वीर॑ उच्यसे ॥६॥

English Transliteration

nayasīd v ati dviṣaḥ kṛṇoṣy ukthaśaṁsinaḥ | nṛbhiḥ suvīra ucyase ||

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Pad Path

नय॑सि। इत्। ऊँ॒ इति॑। अति॑। द्विषः॑। कृ॒णोषि॑। उ॒क्थ॒ऽशं॒सिनः॑। नृऽभिः॑। सु॒ऽवीरः॑। उ॒च्य॒से॒ ॥६॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:45» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:22» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा क्या करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! जिससे आप (द्विषः) द्वेष करनेवालों को (उक्थसंसिनः) वेद की प्रशंसा करनेवाले को (कृणोषि) करते हो और उपाय का उल्लङ्घन करके धर्म्म को (अति, नयसि) अत्यन्त प्राप्त होते वा प्राप्त करते हो (उ) और (नृभिः) नायक अग्रणी मनुष्यों से (सुवीरः) श्रेष्ठ वीरों से युक्त हुए सब के प्रति (उच्यते) उपदेश किये जाते हो इससे (इत्) ही आदर करने योग्य हो ॥६॥
Connotation: - हे राजन् ! जो आप नम्रतायुक्त, विद्वान् होवें तो वेद में कहे हुए धर्म्म से द्वेष करनेवालों को भी उपदेश वा विनय से वेदोक्त धर्म्म में प्रीतिकरनेवाले कर सकते हो ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजा किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे राजन् ! यतस्त्वं द्विष उक्थशंसिनः कृणोष्युपायमुल्लङ्घयित्वा धर्ममति नयस्यु नृभिः सुवीरः सर्वान् प्रत्युच्यसे तस्मादिन्माननीयोऽसि ॥६॥

Word-Meaning: - (नयसि) प्राप्नोषि प्रापयसि वा (इत्) एव (उ) (अति) (द्विषः) ये द्विषन्ति तान् (कृणोषि) (उक्थशंसिनः) वेदप्रकाशकरणशीलान् (नृभिः) नायकैः (सुवीरः) शोभना वीरा यस्य सः (उच्यसे) ॥६॥
Connotation: - हे राजन् ! यदि भवान् विनयवान् विद्वान् भवेत्तर्हि वेदधर्मद्वेष्टॄनपि वेदोक्तधर्मप्रियानुपदेशेन विनयेन वा कर्तुं शक्नोति ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा ! जर तू विनयी विद्वान बनलास तर वैदिक धर्मद्वेषी लोकांनाही वैदिक धर्मावर प्रेम करणारी शिकवण देऊ शकतोस. ॥ ६ ॥