Go To Mantra

इ॒मा उ॑ त्वा शतक्रतो॒ऽभि प्र णो॑नुवु॒र्गिरः॑। इन्द्र॑ व॒त्सं न मा॒तरः॑ ॥२५॥

English Transliteration

imā u tvā śatakrato bhi pra ṇonuvur giraḥ | indra vatsaṁ na mātaraḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

इ॒माः। ऊँ॒ इति॑। त्वा॒। श॒त॒क्र॒तो॒ इति॑ शतऽक्रतो। अ॒भि। प्र। नो॒नु॒वुः॒। गिरः॑। इन्द्र॑। व॒त्सम्। न। मा॒तरः॑ ॥२५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:45» Mantra:25 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:25» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:25


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर धर्म्मात्मा राजा की सब प्रशंसा करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (शतक्रतो) अथाह बुद्धिवाले (इन्द्र) प्रजाओं के पालन में तत्पर ! (वत्सम्) बछड़े को (मातरः) आदर देनेवाली माता (न) जैसे वैसे जो (इमाः) ये प्रजायें और (गिरः) वाणियाँ (त्वा) आपकी (प्र, नोनुवुः) अत्यन्त प्रशंसा करें उनकी (उ) वितर्क के साथ आप (अभि) सब प्रकार से स्तुति करिये ॥२५॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे राजन् ! जैसे गौवें प्रेम से अपने बछड़ों को प्रसन्न करती हैं, वैसे ही उत्तम प्रकार शिक्षित वाणियाँ सब को आनन्द देती हैं, ऐसा जानो ॥२५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्धर्म्मात्मानं सर्वे प्रशंसन्त्वित्याह ॥

Anvay:

हे शतक्रतो इन्द्र ! वत्सं मातरो न य इमा गिरस्त्वा प्र णोनुवुस्ता उ त्वमभि स्तुहि ॥२५॥

Word-Meaning: - (इमाः) प्रजाः (उ) वितर्के (त्वा) त्वाम् (शतक्रतो) अमितप्रज्ञ (अभि) (प्र) (नोनुवुः) भृशं प्रशंसेयुः (गिरः) वाचः (इन्द्र) प्रजापालनतत्पर (वत्सम्) (न) इव (मातरः) मान्यप्रदाः ॥२५॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। हे राजन् ! यथा गावो वात्सल्येन स्वान् वत्सान् प्रीणन्ति तथैव सुशिक्षिता वाचः सर्वानान्दयन्तीति विद्धि ॥२५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे राजा ! जशा गाई आपल्या वासरांना प्रसन्न करतात, तशीच सुसंस्कृत वाणी सर्वांना आनंद देते हे जाण. ॥ २५ ॥