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कु॒वित्स॑स्य॒ प्र हि व्र॒जं गोम॑न्तं दस्यु॒हा गम॑त्। शची॑भि॒रप॑ नो वरत् ॥२४॥

English Transliteration

kuvitsasya pra hi vrajaṁ gomantaṁ dasyuhā gamat | śacībhir apa no varat ||

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Pad Path

कु॒वित्ऽस॑स्य। प्र। हि। व्र॒जम्। गोऽम॑न्तम्। द॒स्यु॒ऽहा। गम॑त्। शची॑भिः। अप॑। नः॒। व॒र॒त् ॥२४॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:45» Mantra:24 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:25» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:24


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह राजा कैसा होवे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (दस्युहा) दुष्ट चोरों को मारनेवाला राजा (शचीभिः) बुद्धिवाले कर्मों से (कुवित्सस्य) अत्यन्त विभाग करनेवाले के (गोमन्तम्) प्रशंसित गौवें विद्यमान और (व्रजम्) चलते हैं जिसमें उसकी (अप, गमत्) प्राप्त होता है वह (हि) ही (नः) हम लोगों को (प्र, वरत्) स्वीकार करे ॥२४॥
Connotation: - जो राजा दुष्टजनों को दूर करके न्याय व्यवहार के प्रचार के लिये उत्तम जनों का स्वीकार करता है, वह बड़े सत्य और असत्य का विचार करनेवाला होता है ॥२४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स राजा कीदृग्भवेदित्याह ॥

Anvay:

यो दस्युहा राजा शचीभिः कुवित्सस्य गोमन्तं व्रजमप गमत्स हि नः प्र वरत् ॥२४॥

Word-Meaning: - (कुवित्सस्य) यः कुविन्महत्सनति विभजति तस्य (प्र) (हि) (व्रजम्) व्रजन्ति यस्मिंस्तम् (गोमन्तम्) प्रशस्ता गावो विद्यन्ते यस्मिँस्तम् (दस्युहा) दस्यून् दुष्टाञ्चोरान् हन्ति (गमत्) गच्छति (शचीभिः) प्रज्ञाभिः कर्म्मभिर्वा (अप) दूरीकरणे (नः) अस्मान् (वरत्) वृणुयात् ॥२४॥
Connotation: - यो राजा दस्यून् दुष्टाञ्जनान् दूरीकृत्य न्यायव्यवहारप्रचारायोत्तमान् जनान्त्स्वीकरोति स महतोः सत्यासत्ययोर्विवेचको भवति ॥२४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो राजा दुष्ट लोकांना दूर करून न्यायाच्या व्यवहारासाठी उत्तम लोकांचा स्वीकार करतो तो सत्यासत्याचा विचार करणारा असतो. ॥ २४ ॥