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न घा॒ वसु॒र्नि य॑मते दा॒नं वाज॑स्य॒ गोम॑तः। यत्सी॒मुप॒ श्रव॒द्गिरः॑ ॥२३॥

English Transliteration

na ghā vasur ni yamate dānaṁ vājasya gomataḥ | yat sīm upa śravad giraḥ ||

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Pad Path

न। घ॒। वसुः॑। नि। य॒म॒ते॒। दा॒नम्। वाज॑स्य। गोऽम॑तः। यत्। सी॒म्। उप॑। श्र॒व॒त्। गिरः॑ ॥२३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:45» Mantra:23 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:25» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:23


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा प्रजाजन परस्पर कैसा वर्त्ताव करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (यत्) जो जन (गोमतः) प्रशंसित वाणी से युक्त (वाजस्य) विज्ञान का (वसुः) वास दिलानेवाला (दानम्) दान को (नि) अत्यन्त (यमते) देता है (गिरः) वाणियों को (सीम्) सब प्रकार से (उप, श्रवत्) सुने वह (न, घा) नहीं मारा जाता है ॥२३॥
Connotation: - जो मनुष्य विद्या और अभयदान देता और सम्पूर्ण विद्वानों से सत्य सुनता है, वह इस संसार में विघ्नों से नहीं मारा जाता है ॥२३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजप्रजाजनाः परस्परं कथं वर्त्तेरन्नित्याह ॥

Anvay:

यद्यो जनो गोमतो वाजस्य वसुर्दानं नि यमते गिरः सीमुप श्रवत्स न घा हन्यते ॥२३॥

Word-Meaning: - (न) निषेधे (घा) एव। अत्र ऋचि तुनुघेति दीर्घः। (वसुः) वासयिता (नि) नितराम् (यमते) यच्छति ददाति (दानम्) (वाजस्य) विज्ञानस्य (गोमतः) प्रशस्तवाग्युक्तस्य (यत्) (सीम्) सर्वतः (उप) (श्रवत्) शृणुयात् (गिरः) वाचः ॥२३॥
Connotation: - यो मनुष्यो विद्याभयदाने ददाति सर्वेभ्यो विद्वद्भ्यः सत्यं शृणोति सोऽत्र जगति विघ्नैर्नैव हन्यते ॥२३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो माणूस विद्या व अभयदान देतो व संपूर्ण विद्वानांकडून सत्य ऐकतो त्याचे या जगात विघ्नांद्वारे हनन होत नाही. ॥ २३ ॥