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स हि विश्वा॑नि॒ पार्थि॑वाँ॒ एको॒ वसू॑नि॒ पत्य॑ते। गिर्व॑णस्तमो॒ अध्रि॑गुः ॥२०॥

English Transliteration

sa hi viśvāni pārthivām̐ eko vasūni patyate | girvaṇastamo adhriguḥ ||

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Pad Path

सः। हि। विश्वा॑नि। पार्थि॑वा। एकः॑। वसू॑नि। पत्य॑ते। गिर्व॑णःऽतमः। अध्रि॑ऽगुः ॥२०॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:45» Mantra:20 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:24» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:20


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को कैसा राजा करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (सः) वह (हि) जिससे (एकः) सहायरहित (गिर्वणस्तमः) अतिशयित वाणियों से प्रशंसा करने योग्य (अध्रिगुः) सत्यगमनवाला राजा (विश्वानि) समस्त (पार्थिवा) पृथिवी में जाने हुए (वसूनि) द्रव्यों को (पत्यते) स्वामी के सदृश आचरण करता है, इससे हम लोगों से सत्कार करने योग्य है ॥२०॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो विलक्षण बुद्धि और विद्या से युक्त, पृथिवी आदि पदार्थों की विद्या का जाननेवाला, प्रशंसा करने योग्य गुण, कर्म, और स्वभावयुक्त और सत्य आचरण करनेवाला जन होवे, उसी को राजा करो ॥२०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः कीदृशो राजा कर्त्तव्य इत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्याः ! स ह्येको गिर्वणस्तमोऽध्रिगू राजा विश्वानि पार्थिवा वसूनि पत्यतेऽतोऽस्माभिः सत्कर्तव्योऽस्ति ॥२०॥

Word-Meaning: - (सः) (हि) यतः (विश्वानि) (पार्थिवा) पृथिव्यां विदितानि (एकः) असहायः (वसूनि) द्रव्याणि (पत्यते) पतिरिवाचरति (गिर्वणस्तमः) अतिशयेन वाग्भिः प्रशंसनीयः (अध्रिगुः) सत्यगतिः ॥२०॥
Connotation: - हे मनुष्या ! योऽद्वितीयबुद्धिविद्यः पृथिव्यादिपदार्थविद्यावित्प्रशंसनीयगुणकर्मस्वभावः सत्याचारी जनो भवेत्तमेव राजानं कुरुत ॥२०॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो ! जो अद्वितीय बुद्धी व विद्येने युक्त, पृथ्वी इत्यादी पदार्थांची विद्या जाणणारा, प्रशंसनीय गुण, कर्म, स्वभावयुक्त व सत्याचरण करणारा असेल त्यालाच राजा करा. ॥ २० ॥