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अ॒यं दे॒वः सह॑सा॒ जाय॑मान॒ इन्द्रे॑ण यु॒जा प॒णिम॑स्तभायत्। अ॒यं स्वस्य॑ पि॒तुरायु॑धा॒नीन्दु॑रमुष्णा॒दशि॑वस्य मा॒याः ॥२२॥

English Transliteration

ayaṁ devaḥ sahasā jāyamāna indreṇa yujā paṇim astabhāyat | ayaṁ svasya pitur āyudhānīndur amuṣṇād aśivasya māyāḥ ||

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Pad Path

अ॒यम्। दे॒वः। सह॑सा। जाय॑मानः। इन्द्रे॑ण। यु॒जा। प॒णिम्। अ॒स्त॒भा॒य॒त्। अ॒यम्। स्वस्य॑। पि॒तुः। आयु॑धानि। इन्दुः॑। अ॒मु॒ष्णा॒त्। अशि॑वस्य। मा॒याः ॥२२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:44» Mantra:22 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:20» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:22


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह राजा किसका सत्कार करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! जो (अयम्) यह (इन्द्रेण) अत्यन्त ऐश्वर्य से (युजा) युक्त होनेवाले राजा से (सहसा) बल से (जायमानः) उत्पन्न हुआ (देवः) श्रेष्ठ गुणवाला विद्वान् (पणिम्) स्तुति करने योग्य व्यवहार को (अस्तभायत्) स्थिर करता है और जो (अयम्) यह (इन्दुः) आनन्दकारक (स्वस्य) अपने (पितुः) पिता के (आयुधानि) शस्त्र और अस्त्रों को स्थिर करता है और (अशिवस्य) अमङ्गल की (मायाः) बुद्धियों को (अमुष्णात्) चुराता है, उसका आप गुरु के सदृश सत्कार करिये ॥२२ ॥
Connotation: - हे राजन् ! जो धर्म्मयुक्त व्यवहार को स्वयं करके सर्वत्र प्रचार करते हैं और युद्धविद्या में और उपदेश में कुशल हुए अमङ्गल का सब प्रकार नाश करके कल्याण को उत्पन्न करते हैं, वे आपसे सत्कार को प्राप्त हों ॥२२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स राजा कस्य सत्कारं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे राजन् ! योऽयमिन्द्रेण युजा सहसा जायमानो देवो विद्वान् पणिमस्तभायद् योऽयमिन्दुः स्वस्य पितुरायुधान्यस्तभायदशिवस्य माया अमुष्णात्तं भवान् गुरुवत्सत्करोतु ॥२२ ॥

Word-Meaning: - (अयम्) (देवः) दिव्यगुणः (सहसा) बलेन (जायमानः) उत्पद्यमानः (इन्द्रेण) परमैश्वर्येण (युजा) यो युङ्क्ते तेन राज्ञा (पणिम्) स्तुत्यं व्यवहारम् (अस्तभायत्) स्तभ्नाति स्थिरीकरोति (अयम्) (स्वस्य) (पितुः) जनकस्य (आयुधानि) शस्त्रास्त्राणि (इन्दुः) आनन्दकरः (अमुष्णात्) मुष्णाति चोरयति (अशिवस्य) अमङ्गलस्य (मायाः) प्रज्ञाः ॥२२ ॥
Connotation: - हे राजन् ! ये धर्म्यं व्यवहारं स्वयमाचर्य्य सर्वत्र प्रचारयन्ति युद्धविद्योपदेशकुशला अमङ्गलं सर्वतो विनाश्य भद्रं जनयन्ति ते त्वत्तः सत्कारं प्राप्नुवन्तु ॥२२ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा ! जे धर्मयुक्त व्यवहार स्वतः करून सर्वत्र प्रचार करतात व युद्धविद्येत आणि उपदेश करण्यात कुशल असून अमंगळाचा सर्व प्रकारे नाश करून कल्याण करतात त्यांचा तू सत्कार कर. ॥ २२ ॥