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उद॒भ्राणी॑व स्त॒नय॑न्निय॒र्तीन्द्रो॒ राधां॒स्यश्व्या॑नि॒ गव्या॑। त्वम॑सि प्र॒दिवः॑ का॒रुधा॑या॒ मा त्वा॑दा॒मान॒ आ द॑भन्म॒घोनः॑ ॥१२॥

English Transliteration

ud abhrāṇīva stanayann iyartīndro rādhāṁsy aśvyāni gavyā | tvam asi pradivaḥ kārudhāyā mā tvādāmāna ā dabhan maghonaḥ ||

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Pad Path

उत्। अ॒भ्राणि॑ऽइव। स्त॒नय॑न्। इ॒य॒र्ति॒। इन्द्रः॑। राधां॑सि। अश्व्या॑नि। गव्या॑। त्वम्। अ॒सि॒। प्र॒ऽदिवः॑। का॒रुऽधा॑याः। मा। त्वा॒। अ॒दा॒मानः॑। आ। द॒भ॒न्। म॒घोनः॑ ॥१२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:44» Mantra:12 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:18» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह राजा किसके सदृश क्या करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! जिससे (स्तनयन्) शब्द करता हुआ (कारुधायाः) विद्वान् शिल्पी जनों का धारण करनेवाला (इन्द्रः) बिजुली के सदृश वा (अभ्राणीव) वायु के दलों के सदृश (अश्व्यानि) घोड़ों में हितकारक (गव्या) गौओं में हितकारक (राधांसि) सम्पूर्ण सुखों के करनेवाले धनों को (उत्) भी (इयर्त्ति) प्राप्त होता है और (प्रदिवः) अत्यन्त सुन्दर (मघोनः) धन से युक्त जनों को वह ग्रहण करनेवाला है और जैसे (अदामानः) आदाता जन (त्वा) आपकी (मा) मत (आ, दभन्) हिंसा करें और धन से युक्त जनों की मत हिंसा करें, वैसे (त्वम्) आप जो कर चुके (असि) हैं तो आप में कौन नम्र होता है ॥१२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जिसकी मेघों की घटाओं के समान बलवती सेना, बिजुली के समान पराक्रमयुक्त वर्त्तमान है और जिससे सब गुणी संग्र­ह किये जाते हैं वही धन, धान्य, राज्य और पशु आदि पदार्थों को प्राप्त होता है ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स राजा किंवत्किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे राजन् ! यतः स्तनयन् कारुधाया इन्द्रोऽभ्राणीवाश्व्यानि गव्या राधांस्युदियर्त्ति प्रदिवो मघोनः स ग्रहीतास्ति यथाऽदामानस्त्वा मा आ दभन्मघोनो मा आदभंस्तथा त्वं यदि कृतवानसि तर्हि त्वयि को नतो भवति ॥१२॥

Word-Meaning: - (उद्) अपि (अभ्राणीव) वायुदलानीव (स्तनयन्) शब्दयन् (इयर्त्ति) प्राप्नोति (इन्द्रः) विद्युदिव (राधांसि) सर्वसुखकराणि धनानि (अश्व्यानि) अश्वेषु हितानि (गव्या) गोषु हितानि (त्वम्) (असि) (प्रदिवः) प्रकर्षेण कमनीयान् (कारुधायाः) विदुषां शिल्पानां धारयिता (मा) निषेधे (त्वा) त्वाम् (अदामानः) अदातारः (आ) (दभन्) हिंसेयुः (मघोनः) धनाढ्यान् ॥१२॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यस्याभ्रघटावत्सेना बलवती विद्युद्वत्पराक्रमयुक्ता वर्त्तते येन सर्वे गुणिनः सङ्गृह्यन्ते स एव धनधान्यराज्यपश्वादीन् प्राप्नोति ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. मेघवायुदलाप्रमाणे ज्याची सेना बलवान व विद्युतप्रमाणे पराक्रमी असते, जो गुणवान लोकांना जवळ करतो त्यालाच धन, धान्य, राज्य व पशू इत्यादी पदार्थ प्राप्त होतात. ॥ १२ ॥