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आ सूर्यो॒ न भा॑नु॒मद्भि॑र॒र्कैरग्ने॑ त॒तन्थ॒ रोद॑सी॒ वि भा॒सा। चि॒त्रो न॑य॒त्परि॒ तमां॑स्य॒क्तः शो॒चिषा॒ पत्म॑न्नौशि॒जो न दीय॑न् ॥६॥

English Transliteration

ā sūryo na bhānumadbhir arkair agne tatantha rodasī vi bhāsā | citro nayat pari tamāṁsy aktaḥ śociṣā patmann auśijo na dīyan ||

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Pad Path

आ। सूर्यः॑। न। भा॒नु॒मत्ऽभिः॑। अ॒र्कैः। अग्ने॑। त॒तन्थ॑। रोद॑सी॒ इति॑। वि। भा॒सा। चि॒त्रः। न॒य॒त्। परि॑। तमां॑सि। अ॒क्तः। शो॒चिषा॑। पत्म॑न्। औ॒शि॒जः। न। दीय॑न् ॥६॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:4» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:6» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के समान वर्त्तमान आप (भानुमद्भिः) बहुत प्रकाशवाले (अर्कैः) वज्र के सदृश छेदक किरणों से (सूर्यः) सूर्य्य के (न) जैसे वैसे (भासा) प्रकाश से (वि, ततन्थ) अत्यन्त विस्तारयुक्त करते हो और जैसे (चित्रः) अनेक प्रकार के वर्णों से अद्भुत सूर्य्य (रोदसी) अन्तरिक्ष और पृथिवी को प्रकाशित करता और (शोचिषा) प्रकाश से (अक्तः) प्रसिद्ध हुआ (तमांसि) अन्धकारों को (परि) सब ओर से (नयत्) दूर करता है, वैसे (पत्मन्) चलते हैं जन जिसमें उस मार्ग में (दीयन्) चलते हुए (औशिजः) कामना करते हुए के पुत्र के (न) समान सत्य मार्ग में चलते हुए आप धर्म कर्म का (आ) सब प्रकार से विस्तार करें ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! जैसे सूर्य्य अपने प्रकाश से समीप में वर्त्तमान पदार्थों को प्रकाशित करके रात्रि का निवारण करता है, वैसे ही उत्तम गुणों को प्रकाशित करके अज्ञानान्धकार का निवारण करिये ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! त्वं भानुमद्भिर्कैः सूर्य्यो न भासा विततन्थ यथा चित्रस्सविता रोदसी प्रकाशयञ्छोचिषाक्तः संस्तमांसि परिणयत् तथा पत्मन् दीयन्नौशिजौ न सत्ये मार्गे गच्छंस्त्वं धर्ममाततन्थ ॥६॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (सूर्यः) सविता (न) इव (भानुमद्भिः) बहवो भानवः किरणा विद्यन्ते येषु तैः (अर्कैः) वज्रवच्छेदकैः। अर्क इति वज्रनाम। (निघं०२.२०) (अग्ने) पावकवद्वर्त्तमान (ततन्थ) तनोसि (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ (वि) (भासा) प्रकाशेन (चित्रः) नानावर्णोऽद्भुतः (नयत्) नयति (परि) सर्वतः (तमांसि) (अक्तः) प्रसिद्धः (शोचिषा) प्रकाशेन (पत्मन्) पतन्ति गच्छन्ति यस्मिन् मार्गे तस्मिन् (औशिजः) कामयमानस्य पुत्रः (न) (दीयन्) गच्छन्। दीयतीति गतिकर्म्मा। (निघ०२.१४) ॥६॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! यथा सूर्यः स्वप्रकाशेन सन्निहितान् पदार्थान् प्रकाश्य रात्रिं निवर्त्तयति तथैव शुभान् गुणान् प्रदीप्याज्ञानान्धकारं निवारयत ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसा सूर्य आपल्याजवळच्या पदार्थांना प्रकाशित करतो व रात्रीचे निवारण करतो तसेच उत्तम गुणांना प्रकट करून अज्ञानाच्या अंधकाराचे निवारण करा. ॥ ६ ॥