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क॒दा भु॑व॒न्रथ॑क्षयाणि॒ ब्रह्म॑ क॒दा स्तो॒त्रे स॑हस्रपो॒ष्यं॑ दाः। क॒दा स्तोमं॑ वासयोऽस्य रा॒या क॒दा धियः॑ करसि॒ वाज॑रत्नाः ॥१॥

English Transliteration

kadā bhuvan rathakṣayāṇi brahma kadā stotre sahasrapoṣyaṁ dāḥ | kadā stomaṁ vāsayo sya rāyā kadā dhiyaḥ karasi vājaratnāḥ ||

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Pad Path

क॒दा। भु॒व॒न्। रथ॑ऽक्षयाणि। ब्रह्म॑। क॒दा। स्तो॒त्रे। स॒ह॒स्र॒ऽपो॒ष्य॑म्। दाः॒। क॒दा। स्तोम॑म्। वा॒स॒यः॒। अ॒स्य॒। रा॒या। क॒दा। धियः॑। क॒र॒सि॒। वाज॑ऽरत्नाः ॥१॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:35» Mantra:1 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:7» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:3» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पाँच ऋचावाले पैंतीसवें सूक्त का प्रारम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में राजा के प्रति कैसा उपदेश करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! आपके (कदा) कब (रथक्षयाणि) वाहन के रहने के स्थान (भुवन्) होते हैं और (कदा) कब (स्तोत्रे) प्रशंसा के साधन में (सहस्रपोष्यम्) असङ्ख्य जनों के पुष्ट करने योग्य (ब्रह्म) धन को (दाः) दीजिये और (कदा) कब (अस्य) इसके (राया) धन से (स्तोमम्) प्रशंसा को (वासयः) बसाइये और आप (कदा) कब (वाजरत्नाः) धन और धान्य की बढ़ानेवाली (धियः) उत्तम बुद्धियों वा उत्तम कर्म्मों को (करसि) करें ॥१॥
Connotation: - सब सभा में बैठनेवाले, विद्वान् जन और उपदेशक जन राजा से यह कहें कि आप कब सेना के अङ्गों और पुष्टि करनेवाले ऐश्वर्य्य और उत्तम बुद्धियों को करेंगे ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राजानं प्रति कथमुपदिशेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे राजँस्त्वं कदा रथक्षयाणि भुवन् कदा स्तोत्रे सहस्रपोष्यं ब्रह्म दाः। कदास्य राया स्तोमं वासयः कदा वाजरत्ना धियः करसि ॥१॥

Word-Meaning: - (कदा) (भुवन्) भवन्ति (रथक्षयाणि) रथस्य निवासरूपाणि गृहाणि (ब्रह्म) धनम् (कदा) (स्तोत्रे) प्रशंसासाधने (सहस्रपोष्यम्) असङ्ख्यैः पोषणीयम् (दाः) दद्याः (कदा) (स्तोमम्) प्रशंसाम् (वासयः) वासयेः (अस्य) (राया) धनेन (कदा) (धियः) प्रज्ञा उत्तमानि कर्माणि वा (करसि) कुर्याः (वाजरत्नाः) धनधान्योन्नतिकरीः ॥१॥
Connotation: - सर्वे सभ्या विद्वांस उपदेशकाश्च राजानं प्रत्येवं ब्रूयुर्भवान् कदा सेनाङ्गानि पुष्टिकरमैश्वर्य्यमुत्तमाः प्रज्ञाश्च करिष्यतीति ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात इंद्र, विद्वान, राजा व प्रजा यांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - सर्व सभ्य विद्वानांनी व उपदेशकांनी राजाला म्हणावे की, तू सेनेच्या अंगांची पुष्टी करणारे ऐश्वर्य व उत्तम बुद्धी कधी प्राप्त करशील? ॥ १ ॥