Go To Mantra

स॒त्यमित्तन्न त्वावाँ॑ अ॒न्यो अ॒स्तीन्द्र॑ दे॒वो न मर्त्यो॒ ज्याया॑न्। अह॒न्नहिं॑ परि॒शया॑न॒मर्णोऽवा॑सृजो अ॒पो अच्छा॑ समु॒द्रम् ॥४॥

English Transliteration

satyam it tan na tvāvām̐ anyo astīndra devo na martyo jyāyān | ahann ahim pariśayānam arṇo vāsṛjo apo acchā samudram ||

Mantra Audio
Pad Path

स॒त्यम्। इत्। तत्। न। त्वाऽवा॑न्। अ॒न्यः। अ॒स्ति॒। इन्द्र॑। दे॒वः। न। मर्त्यः॑। ज्याया॑न्। अह॑न्। अहि॑म्। प॒रि॒ऽशया॑नम्। अर्णः॑। अव॑। अ॒सृ॒जः॒। अ॒पः। अच्छ॑। स॒मु॒द्रम् ॥४॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:30» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:2» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:3» Mantra:4


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर ईश्वर कैसा है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) सूर्य्य के सदृश अपने से प्रकाशमान जगदीश्वर ! जिससे आपसे बनाया गया सूर्य्य (परिशयानम्) चारों ओर से सोते हुए से (अहिम्) व्याप्त होनेवाले मेघ का (अहन्) नाश करता है और (अर्णः) भ्रमर पड़ते जल वा अन्य (अपः) जलों और (समुद्रम्) सागर वा अन्तरिक्ष को (अच्छा) उत्तम प्रकार (अव, असृजः) उत्पन्न करता है, इससे (अन्यः) और (त्वावान्) आपके सदृश कोई भी दूसरा (ज्यायान्) बड़ा नहीं है (न) न (देवः) विद्वान् वा प्रकाशमान और (न) न (मर्त्यः) साधारण मनुष्य (अस्ति) है (तत्) वह (सत्यम्) श्रेष्ठों में श्रेष्ठ (इत्) ही है ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जिस जगदीश्वर ने जगत् के पालन के लिये आकर्षण करने और वृष्टि तथा प्रकाश करनेवाला सूर्य्य और मेघ बनाया, इस कारण से जगदीश्वर के तुल्य कोई भी नहीं है, फिर अधिक कहाँ से हो, यह सत्य जानिये ॥४॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरीश्वरः कीदृशोऽस्तीत्याह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! यतस्त्वया निर्मितस्सविता परिशयानमहिमहन्नर्णोऽपः समुद्रमच्छाऽवाऽसृजस्तस्मादन्यस्त्वावान् कोऽप्यन्यो ज्यायान्नास्ति न देवो न मर्त्त्यश्चास्तीति तत्सत्यमिदेवास्ति ॥४॥

Word-Meaning: - (सत्यम्) सत्सु साधु (इत्) एव (तत्) (न) निषेधे (त्वावान्) त्वया सदृशः (अन्यः) भिन्नः (अस्ति) (इन्द्र) सूर्य्य इव स्वप्रकाशमान जगदीश्वर (देवः) विद्वान् प्रकाशमानो लोको वा (न) (मर्त्यः) (ज्यायान्) महान् (अहन्) हन्ति (अहिम्) व्याप्नुवन्तं मेघम् (परिशयानम्) सर्वतः शयानमिव (अर्णः) उदकम् (अव) (असृजः) सृजति (अपः) जलानि (अच्छा) सम्यक्। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (समुद्रम्) सागरमन्तरिक्षं वा ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्या ! येन जगत्पालनायाकर्षको वृष्टिप्रकाशकरः सूर्यो निर्मितो मेघश्च तस्माज्जगदीश्वरेण तुल्यः कोऽपि नास्ति कुतोऽधिक इति तथ्यं विजानीत ॥४॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो ! ज्या जगदीश्वराने जगाचे पालन करण्यासाठी वृष्टी करणारा मेघ व प्रकाश देणारा आकर्षणयुक्त सूर्य उत्पन्न केलेले आहेत, त्यामुळे जगदीश्वरासारखे कोणीही नाही तर त्याच्यापेक्षा अधिक कोणी कसा असू शकेल? हे सत्य जाणा. ॥ ४ ॥