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न ते॒ अन्तः॒ शव॑सो धाय्य॒स्य वि तु बा॑बधे॒ रोद॑सी महि॒त्वा। आ ता सू॒रिः पृ॑णति॒ तूतु॑जानो यू॒थेवा॒प्सु स॒मीज॑मान ऊ॒ती ॥५॥

English Transliteration

na te antaḥ śavaso dhāyy asya vi tu bābadhe rodasī mahitvā | ā tā sūriḥ pṛṇati tūtujāno yūthevāpsu samījamāna ūtī ||

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Pad Path

न। ते॒। अन्तः॑। शव॑सः। धा॒यि॒। अ॒स्य। वि। तु। बा॒ब॒धे॒। रोद॑सी॒ इति॑। म॒हि॒ऽत्वा। आ। ता। सू॒रिः। पृ॒ण॒ति॒। तूतु॑जानः। यू॒थाऽइ॑व। अ॒प्ऽसु। स॒म्ऽईज॑मानः। ऊ॒ती ॥५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:29» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:1» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:3» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब ईश्वर कैसा है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे जगदीश्वर ! जिस (अस्य) इस (ते) आप ईश्वर के (शवसः) बल की (अन्तः) सीमा किसी से भी (न) नहीं (धायि) धारण की जाती है (तु) और जो (महित्वा) बड़प्पन से (रोदसी) अन्तरिक्ष और पृथिवी को (वि, बाबधे) बाँधता है और जिन आपके (ता) उन कर्मों को (ऊती) रक्षण आदि क्रिया से (समीजमानः) उत्तम प्रकार मिलता हुआ (तूतुजानः) शीघ्र कार्य करनेवाला (सूरिः) विद्वान् (अप्सु) प्राणों वा जलों में (यूथेव) समूह के सदृश सब को (आ, पृणति) सुखी करता है, वह आप लोगों से स्तुति करने योग्य है ॥५॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो अनन्त गुण, कर्म और स्वभावयुक्त और सब का प्रबन्ध करनेवाला, उपासना किया हुआ सुख का देनेवाला ईश्वर है, वही सब से उपासना करने योग्य है ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथेश्वरः कीदृशोऽस्तीत्याह ॥

Anvay:

हे जगदीश्वर ! यस्याऽस्य ते शवसोऽन्तः केनापि न धायि यस्तु महित्वा रोदसी वि बाबधे यस्य ते ता ऊती समीजमानस्तूतुजानः सूरिरप्सु यूथेव सर्वाना पृणाति स भवानस्माभिरीड्योऽस्ति ॥५॥

Word-Meaning: - (न) निषेधे (ते) तवेश्वरस्य (अन्तः) सीमा (शवसः) बलस्य (धायि) ध्रियते (अस्य) (वि) (तु) (बाबधे) बध्नाति (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ (महित्वा) महत्त्वेन (आ) (ता) तानि (सूरिः) विद्वान् (पृणति) सुखयति (तूतुजानः) क्षिप्रकारी (यूथेव) समूह इव (अप्सु) प्राणेषु जलेषु वा (समीजमानः) सम्यक्सङ्गच्छमानः (ऊती) ऊत्या रक्षणाद्यया क्रियया ॥५॥
Connotation: - हे मनुष्या ! योऽनन्तगुणकर्मस्वभावः सर्वस्य प्रबन्धकर्तोपासितः सन्त्सुखप्रदातेश्वरोऽस्ति स एव सर्वैरुपासनीयः ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जो अनंत गुण, कर्म, स्वभावयुक्त सर्व प्रबंधक उपासनीय व सुख देणारा ईश्वर आहे त्याची उपासना सर्वांनी करावी, असा तो आहे. ॥ ५ ॥