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अ॒या ह॒ त्यं मा॒यया॑ वावृधा॒नं म॑नो॒जुवा॑ स्वतवः॒ पर्व॑तेन। अच्यु॑ता चिद्वीळि॒ता स्वो॑जो रु॒जो वि दृ॒ळ्हा धृ॑ष॒ता वि॑रप्शिन् ॥६॥

English Transliteration

ayā ha tyam māyayā vāvṛdhānam manojuvā svatavaḥ parvatena | acyutā cid vīḻitā svojo rujo vi dṛḻhā dhṛṣatā virapśin ||

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Pad Path

अ॒या। ह॒। त्यम्। मा॒यया॑। व॒वृ॒धा॒नम्। म॒नः॒ऽजुवा॑। स्व॒ऽत॒वः॒। पर्व॑तेन। अच्यु॑ता। चि॒त्। वी॒ळि॒ता। सु॒ऽओ॒जः॒। रु॒जः। वि। दृ॒ळ्हा। धृ॒ष॒ता। वि॒ऽर॒प्शि॒न् ॥६॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:22» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:14» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर स्त्री और पुरुष परस्पर कैसे वर्ताव करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (स्वतवः) अपना बल जिसके ऐसे (विरप्शिन्) महागुणों से युक्त (स्वोजः) उत्तम पराक्रमयुक्त प्रतापी आप (अया) इस (मायया) बुद्धि से जैसे वैसे स्त्री से रमण करिये वह स्त्री (वावृधानम्) बढ़े हुए (त्यम्) उस पति को प्राप्त होकर (मनोजुवा) मन के सदृश वेगयुक्त (पर्वतेन) मेघ से बिजुली जैसे वैसे रमण करे और ये दोनों (धृषता) ढीठपन से (रुजः) रोगों का नाश करके (ह) निश्चय से युक्त (अच्युता) अविनाशी से (वीळिता) स्तुतिरूप (वि) विशेष करके (दृळ्हा) दृढ़ (चिद्) भी कर्म्मों को करें ॥६॥
Connotation: - हे स्त्री पुरुषो ! आप दोनों प्रेम से मिल के गृहाश्रम के कृत्यों में हर्ष से रोग निवृत्ति तथा प्रीति से मेल करके सन्तानों को उत्पन्न करो ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्दम्पती परस्परं कथं वर्तेयातामित्याह ॥

Anvay:

हे स्वतवो विरप्शिन् स्वोज इन्द्र ! त्वमया माययेवं स्त्रिया रमस्व सा वावृधानं त्यं प्राप्य मनोजुवा पर्वतेन विद्युदिव रमताम्। द्वौ धृषता रुजो हत्वा हाऽच्युता वीळिता वि दृळ्हा चित्कर्माणि कुरुताम् ॥६॥

Word-Meaning: - (अया) अनया (ह) किल (त्यम्) तं पतिम् (मायया) प्रज्ञया (वावृधानम्) वर्धमानम् (मनोजुवा) मनोवद्वेगेन (स्वतवः) स्वकीयं तवो बलं यस्य तत्सम्बुद्धौ (पर्वतेन) मेघेन (अच्युता) अविनाशिना (चित्) अपि (वीळिता) स्तुतानि (स्वोजः) सुष्ठु पराक्रमो यस्य तत्सम्बुद्धौ (रुजः) रोगान् (वि) (दृळ्हा) दृढानि (धृषता) प्रागल्भेन (विरप्शिन्) महागुणयुक्त ॥६॥
Connotation: - हे स्त्रीपुरुषौ ! द्वौ प्रेम्णा मिलित्वा गृहाश्रमकृत्येषु हर्षेण रोगनिवारणेन प्रीत्या सङ्गत्य सुसन्तानाञ्जनयेताम् ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे स्त्री-पुरुषांनो ! तुम्ही दोघे प्रेमाने व हर्षाने गृहस्थाश्रमाचे कार्य करून रोगनिवारण करून प्रेमाने संतान उत्पन्न करा. ॥ ६ ॥