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तमी॑मह॒ इन्द्र॑मस्य रा॒यः पु॑रु॒वीर॑स्य नृ॒वतः॑ पुरु॒क्षोः। यो अस्कृ॑धोयुर॒जरः॒ स्व॑र्वा॒न्तमा भ॑र हरिवो माद॒यध्यै॑ ॥३॥

English Transliteration

tam īmaha indram asya rāyaḥ puruvīrasya nṛvataḥ purukṣoḥ | yo askṛdhoyur ajaraḥ svarvān tam ā bhara harivo mādayadhyai ||

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Pad Path

तम्। ई॒म॒हे॒। इन्द्र॑म्। अ॒स्य॒। रा॒यः। पु॒रु॒ऽवीर॑स्य। नृ॒ऽवतः॑। पु॒रु॒ऽक्षोः। यः। अस्कृ॑धोयुः। अ॒जरः॑। स्वः॑ऽवान्। तम्। आ। भ॒र॒। ह॒रि॒ऽवः॒। मा॒द॒यध्यै॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:22» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:13» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (हरिवः) अच्छे मनुष्यों के सहित वर्त्तमान विद्वान् ! (यः) जो (अस्कृधोयुः) व्यापक (अजरः) जरा आदि रोग से रहित (स्वर्वान्) बहुत सुख विद्यमान जिसमें वह वर्त्तमान है (तम्) उसको (मादयध्यै) आनन्दित करने के लिये (आ, भर) सब प्रकार से धारण करिये और (तम्) उसको (अस्य) इस (पुरुवीरस्य) बहुत वीरों को प्राप्त करानेवाले (नृवतः) अच्छे मनुष्य विद्यमान जिसमें उस (पुरुक्षोः) बहुत ध्यान से युक्त (रायः) धन के (इन्द्रम्) अत्यन्त ऐश्वर्य के देनेवाले की हम लोग (ईमहे) याचना करते हैं ॥३॥
Connotation: - सब मनुष्य विज्ञान आदि की प्राप्ति के लिये परमात्मा से ही याचना करें ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे हरिवो विद्वान् ! योऽस्कृधोयुरजरः स्वर्वान् वर्त्तते तं मादयध्यै आभर तमस्य पुरुवीरस्य नृवतः पुरुक्षो राय इन्द्रं वयमीमहे ॥३॥

Word-Meaning: - (तम्) (ईमहे) याचामहे (इन्द्रम्) परमैश्वर्यप्रदम् (अस्य) (रायः) धनस्य (पुरुवीरस्य) बहुवीरप्रापकस्य (नृवतः) प्रशस्ता नरो विद्यन्ते यस्मिंस्तस्य (पुरुक्षोः) बहुध्यानयुक्तस्य (यः) (अस्कृधोयुः) अपरिच्छिन्नः (अजरः) जरादिरोगरहितः (स्वर्वान्) बहु सुखं विद्यते यस्मिन्त्सः (तम्) (आ) (भर) समन्ताद्धर (हरिवः) प्रशस्ता हरयो मनुष्या विद्यन्ते यस्य तत्सम्बुद्धौ (मादयध्यै) मादयितुमानन्दयितुम् ॥३॥
Connotation: - सर्वे मनुष्या विज्ञानादिप्राप्तये परमात्मानमेव याचन्ताम् ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - सर्व माणसांनी विज्ञानाच्या प्राप्तीसाठी परमात्म्याचीच याचना करावी. ॥ ३ ॥