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स इत्तमो॑ऽवयु॒नं त॑त॒न्वत्सूर्ये॑ण व॒युन॑वच्चकार। क॒दा ते॒ मर्ता॑ अ॒मृत॑स्य॒ धामेय॑क्षन्तो॒ न मि॑नन्ति स्वधावः ॥३॥

English Transliteration

sa it tamo vayunaṁ tatanvat sūryeṇa vayunavac cakāra | kadā te martā amṛtasya dhāmeyakṣanto na minanti svadhāvaḥ ||

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Pad Path

सः। इत्। तमः॑। अ॒व॒यु॒नम्। त॒त॒न्वत्। सूर्ये॑ण। व॒युन॑ऽवत्। च॒का॒र॒। क॒दा। ते॒। मर्ताः॑। अ॒मृत॑स्य। धाम॑। इय॑क्षन्तः। न। मि॒न॒न्ति॒। स्व॒धा॒ऽवः॒ ॥३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:21» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:11» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे जगदीश्वर ! जो आप (सूर्येण) सूर्य से (तमः) रात्रि जैसे वैसे ज्ञानप्रकाश से (अवयुनम्) अज्ञानान्धकार को नष्ट (चकार) करते हैं और (वयुनवत्) बुद्धि के सदृश और बुद्धि का (ततन्वत्) विस्तार करते हुए हैं (सः) (इत्) वही सेवा करने योग्य हैं। हे (स्वधावः) बहुत अन्न से युक्त (मर्त्ताः) मनुष्य ! (अमृतस्य) मरणरहित जगदीश्वर के (ते) आपके सम्बन्ध में (धाम) धारण करते जिससे उसको (इयक्षन्तः) मिलाने की इच्छा करते हुए (कदा) कब (न) नहीं (मिनन्ति) नष्ट करते हैं अर्थात् दोष के कारण को दूर करते हैं ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो मनुष्य अहिंसा धर्म को स्वीकार कर और विज्ञान बढ़ाय के परमेश्वर की प्राप्ति की चिकीर्षा करते हैं, वे विस्तीर्ण सुख को प्राप्त होते हैं ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे जगदीश्वर ! यो भवान्त्सूर्येण तम इव ज्ञानप्रकाशेनावयुनं नष्टं चकार वयुनवत्प्रज्ञां ततन्वदस्ति स इत्सेवनीयः। हे स्वधावो मर्त्ता ! अमृतस्य ते धामेयक्षन्तः कदा न मिनन्ति ॥३॥

Word-Meaning: - (सः) (इत्) एव (तमः) रात्रिः (अवयुनम्) अज्ञानमन्धकाररूपम् (ततन्वत्) विस्तृणन्। तनुधातोः शतृप्रत्यये बहुलं छन्दसि। (अ०२.४.७६) अनेन बहुलं शपः श्लुः (सूर्येण) (वयुनवत्) प्रज्ञावत् (चकार) करोति (कदा) (ते) (मर्त्ताः) मनुष्याः (अमृतस्य) मरणरहितस्य जगदीश्वरस्य (धाम) दधाति येन तत् (इयक्षन्तः) यष्टुं सङ्गमयितुमिच्छन्तः (न) निषेधे (मिनन्ति) हिंसन्ति (स्वधावः) बह्वन्नयुक्त ॥३॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । ये मनुष्या अहिंसाधर्मं स्वीकृत्य विज्ञानं वर्धयित्वा परमेश्वरप्राप्तिं चिकीर्षन्ति ते विस्तीर्णं सुखं लभन्ते ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जी माणसे अहिंसेने विज्ञानयुक्त बनून परमेश्वराच्या प्राप्तीची इच्छा करतात ती अत्यंत सुखी होतात. ॥ ३ ॥