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तं व॒ इन्द्रं॑ च॒तिन॑मस्य शा॒कैरि॒ह नू॒नं वा॑ज॒यन्तो॑ हुवेम। यथा॑ चि॒त्पूर्वे॑ जरि॒तार॑ आ॒सुरने॑द्या अनव॒द्या अरि॑ष्टाः ॥४॥

English Transliteration

taṁ va indraṁ catinam asya śākair iha nūnaṁ vājayanto huvema | yathā cit pūrve jaritāra āsur anedyā anavadyā ariṣṭāḥ ||

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Pad Path

तम्। वः॒। इन्द्र॑म्। च॒तिन॑म्। अ॒स्य॒। शा॒कैः। इ॒ह। नू॒नम्। वा॒ज॒ऽयन्तः॑। हु॒वे॒म॒। यथा॑। चि॒त्। पूर्वे॑। ज॒रि॒तारः॑। आ॒सुः। अने॑द्याः। अ॒न॒व॒द्याः। अरि॑ष्टाः ॥४॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:19» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:7» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य कैसे होवें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यथा) जैसे (इह) इस संसार में (पूर्वे) प्राचीन (अनेद्याः) नहीं करने योग्य (अनवद्याः) प्रशंसनीय (अरिष्टाः) नहीं हिंसित (जरितारः) स्तुति करनेवाले (आसुः) होते हैं, वैसे (चित्) भी (अस्य) इसके (शाकैः) सामर्थ्यविशेषों से (तम्) उस (चतिनम्) आनन्द और (इन्द्रम्) अत्यन्त ऐश्वर्य्य के देनेवाले को तथा (वः) तुम लोगों को (नूनम्) (वाजयन्तः) जनाते हुए हम लोग (हुवेम) ग्रहण करें ॥४॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! जैसे प्रशंसा करने योग्य यथार्थवक्ता पुरुष धर्मयुक्त कर्मों में वर्ताव करके कृतकृत्य होते हैं, वैसे ही वर्ताव करके सब मनुष्य कृतकार्य होवें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः कीदृशा भवेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथेह पूर्वेऽनेद्या अनवद्या अरिष्टा जरितार आसुस्तथा चिदस्य शाकैस्तं चतिनमिन्द्रं वो नूनं वाजयन्तो वयं हुवेम ॥४॥

Word-Meaning: - (तम्) (वः) युष्मान् (इन्द्रम्) परमैश्वर्यप्रदम् (चतिनम्) आनन्दप्रदम् (अस्य) (शाकैः) शक्तिविशेषैः (इह) अस्मिन् संसारे (नूनम्) निश्चितम् (वाजयन्तः) ज्ञापयन्तः (हुवेम) (यथा) (चित्) (पूर्वे) आदिमाः (जरितारः) स्तावकाः (आसुः) भवन्ति (अनेद्याः) अनिन्दनीयाः (अनवद्याः) प्रशंसनीयाः (अरिष्टाः) अहिंसिताः ॥४॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। हे मनुष्या ! यथा प्रशंसनीया आप्ताः पुरुषा धर्म्येषु कर्मसु वर्त्तित्वा कृतकृत्या भवन्ति तथैव वर्त्तित्वा सर्वे मनुष्या कृतकार्या भवन्तु ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! जसे प्रशंसनीय आप्त (विद्वान) पुरुष धर्मयुक्त कर्म करून कृतकृत्य होतात तसे वागून सर्व माणसांनी कृतकृत्य व्हावे. ॥ ४ ॥