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अध॒ द्यौश्चि॑त्ते॒ अप॒ सा नु वज्रा॑द्द्वि॒तान॑मद्भि॒यसा॒ स्वस्य॑ म॒न्योः। अहिं॒ यदिन्द्रो॑ अ॒भ्योह॑सानं॒ नि चि॑द्वि॒श्वायुः॑ श॒यथे॑ ज॒घान॑ ॥९॥

English Transliteration

adha dyauś cit te apa sā nu vajrād dvitānamad bhiyasā svasya manyoḥ | ahiṁ yad indro abhy ohasānaṁ ni cid viśvāyuḥ śayathe jaghāna ||

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Pad Path

अध॑। द्यौः। चि॒त्। ते॒। अप॑। सा। नु। वज्रा॑त्। द्वि॒ता। अ॒न॒म॒त्। भि॒यसा॑। स्वस्य॑। म॒न्योः। अहि॑म्। यत्। इन्द्रः॑। अ॒भि। ओह॑सानम्। नि। चि॒त्। वि॒श्वऽआ॑युः। श॒यथे॑। ज॒घान॑ ॥९॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:17» Mantra:9 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:2» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यत्) जो (इन्द्रः) सूर्य्य (ओहसानम्) तर्क से जानने योग्य (अहिम्) मेघ का (अभि) सब ओर से (जघान) नाश करता है, वैसे जो (चित्) कोई (विश्वायुः) सम्पूर्ण अवस्था से युक्त (नि) निरन्तर (शयथे) शयन करता है (अध) इसके अनन्तर जो (द्यौः) कामना करती हुई (चित्) भी (वज्रात्) बिजुली के प्रहार से (भियसा) भय से (द्विता) दो प्रकार (अनमत्) नमती है, वैसे हे विद्वन् ! (स्वस्य) अपने (मन्योः) क्रोध से (सा) वह (नु) निश्चय से (ते) आपका दुःख (अप) दूर करे ॥९॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! आप लोग सूर्य्य और मेघ सदृश वर्त्ताव करके परस्पर पालन करो ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्म्मनुष्याः किं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यद्य इन्द्र ओहसानामहिमभि जघानेव यश्चिद्विश्वायुर्नि शयथेऽध या द्यौश्चिद्वज्राद्भियसा द्विताऽनमत् तथा हे विद्वन् ! स्वस्य मन्योः सा नु ते दुःखमप सारयतु ॥९॥

Word-Meaning: - (अध) अथ (द्यौः) कामयमाना (चित्) अपि (ते) तव (अप) (सा) (नु) (वज्रात्) विद्युत्प्रहारात् (द्विता) द्वयोर्भावः (अनमत्) नमति (भियसा) भयेन (स्वस्य) (मन्योः) क्रोधात् (अहिम्) मेघम् (यत्) यः (इन्द्रः) सूर्य्यः (अभि) (ओहसानम्) तर्कगम्यम् (नि) (चित्) अपि (विश्वायुः) समग्रायुः (शयथे) (जघाने) हन्ति ॥९॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यूयं सूर्य्यमेघवद्वर्त्तित्वा परस्परं पालनं कुरुत ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

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Connotation: - हे माणसांनो ! तुम्ही सूर्य व मेघाप्रमाणे वागून परस्परांचे पालन करा. ॥ ९ ॥