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त्वं दू॒तो अम॑र्त्य॒ आ व॑हा॒ दैव्यं॒ जन॑म्। शृ॒ण्वन् विप्र॑स्य सुष्टु॒तिम् ॥६॥

English Transliteration

tvaṁ dūto amartya ā vahā daivyaṁ janam | śṛṇvan viprasya suṣṭutim ||

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Pad Path

त्वम्। दू॒तः। अम॑र्त्यः। आ। व॒ह॒। दैव्य॑म्। जन॑म्। शृ॒ण्वन्। विप्र॑स्य। सु॒ऽस्तु॒तिम् ॥६॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:16» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:22» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वानों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! (अमर्त्यः) साधारण मनुष्यों के स्वभाव से विरुद्ध (दूतः) सम्पूर्ण पदार्थविद्याओं के समाचार के जनानेवाले (त्वम्) आप (विप्रस्य) बुद्धिमान् की (सुष्टुतिम्) सुन्दर प्रशंसा को (शृण्वन्) सुनते हुए (दैव्यम्) विद्वानों से सिद्ध किये गये विद्वान् (जनम्) जन को (आ, वहा) सब प्रकार से प्राप्त कराइये ॥६॥
Connotation: - हे परीक्षा करनेवाले ! आप लोग पक्षपात का त्याग करके विद्यार्थियों की यथावत् परीक्षा करके विद्यायुक्त कीजिये ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वद्भिः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वनमर्त्यो दूतस्त्वं विप्रस्य सुष्टुतिं शृण्वन् दैव्यं जनमाऽऽवहा ॥६॥

Word-Meaning: - (त्वम्) (दूतः) सर्वपदार्थविद्यासमाचारप्रज्ञापकः (अमर्त्यः) साधारणमनुष्यस्वभावविरुद्धः (आ) (वहा) समन्तात्प्रापय। अत्र द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः (दैव्यम्) देवैः सम्पादितं विद्वांसम् (जनम्) प्रसिद्धम् (शृण्वन्) (विप्रस्य) मेधाविनः (सुष्टुतिम्) शोभनां प्रशंसाम् ॥६॥
Connotation: - हे परीक्षका ! यूयं पक्षपातं विहाय विद्यार्थिनां यथावत्परीक्षां कृत्वा विदुषः सम्पादयत ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे परीक्षकांनो ! तुम्ही भेदभाव सोडून विद्यार्थ्यांची यथायोग्य परीक्षा करून त्यांना विद्यायुक्त करा. ॥ ६ ॥