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त्वां दू॒तम॑ग्ने अ॒मृतं॑ यु॒गेयु॑गे हव्य॒वाहं॑ दधिरे पा॒युमीड्य॑म्। दे॒वास॑श्च॒ मर्ता॑सश्च॒ जागृ॑विं वि॒भुं वि॒श्पतिं॒ नम॑सा॒ नि षे॑दिरे ॥८॥

English Transliteration

tvāṁ dūtam agne amṛtaṁ yuge-yuge havyavāhaṁ dadhire pāyum īḍyam | devāsaś ca martāsaś ca jāgṛviṁ vibhuṁ viśpatiṁ namasā ni ṣedire ||

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Pad Path

त्वाम्। दू॒तम्। अ॒ग्ने॒। अ॒मृत॑म्। यु॒गेऽयु॑गे। ह॒व्य॒ऽवाह॑म्। द॒धि॒रे॒। पा॒युम्। ईड्य॑म्। दे॒वासः॑। च॒। मर्ता॑सः। च॒। जागृ॑विम्। वि॒ऽभुम्। वि॒श्पति॑म्। नम॑सा। नि। से॒दि॒रे॒ ॥८॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:15» Mantra:8 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:18» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:1» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यों से =को किसकी उपासना करने योग्य है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के सदृश स्वयं प्रकाशमान भगवन् ! (युगेयुगे) वर्ष वर्ष वा सत्ययुग आदि में जिस (हव्यवाहम्) ग्रहण करने योग्य पदार्थों को धारण करनेवाले (ईड्यम्) स्तुति करने योग्य (पायुम्) पालन करनेवाले (विश्पतिम्) मनुष्य आदि प्रजाओं के पालक (जागृविम्) सदा जागनेवाले (अमृतम्) नाश से रहित (दूतम्) दुःखों के दूर करनेवाले (विभुम्) व्यापक परमात्मा (त्वाम्) आपको (देवासः) विद्वान् (च) और योगी (मर्त्तासः) मरण धर्म्मवाले (च) भी (नमसा) सत्कार से (दधिरे) धारण और योगी (मर्त्तासः) मरण धर्म्मवाले (च) भी (नमसा) सत्कार से (दधिरे) धारण करें (नि, सेदिरे) स्थित होते हैं, उसको हम लोग धारण करें तथा उसमें स्थित होवें ॥८॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! आप लोग प्रतिदिन सर्वव्यापी, न्यायेश, दयालु, सब धन्यवादों के योग्य, परमात्मा ही की उपासना करो ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यैः क उपासनीय इत्याह ॥

Anvay:

हे अग्ने भगवन् ! युगेयुगे यं हव्यवाहमीड्यं पायुं विश्पतिं जागृविममृतं दूतं विभुं परमात्मानं त्वां देवासश्च मर्त्तासश्च नमसा दधिरे नि षेदिरे तं वयं दधीमहि तस्मिन्निषीदेम ॥८॥

Word-Meaning: - (त्वाम्) (दूतम्) यो दुःखानि दुनोति दूरीकरोति तम् (अग्ने) अग्निरिव स्वप्रकाशमान (अमृतम्) नाशरहितम् (युगेयुगे) वर्षे वर्षे सत्ययुगादौ वा (हव्यवाहम्) यो हव्यान्यादातुमर्हाणि वहति तत् (दधिरे) (पायुम्) पालकम् (ईड्यम्) स्तोतुमर्हम् (देवासः) विद्वांसः (च) योगिनः (मर्त्तासः) मरणधर्माणः (च) (जागृविम्) सदा जागरूकम् (विभुम्) व्यापकम् (विश्पतिम्) मनुष्यादिप्रजापालकम् (नमसा) (नि) (सेदिरे) निषीदन्ति ॥८॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे मनुष्या ! यूयं प्रत्यहं सर्वव्यापिनं न्यायेशं दयालुं सर्वधन्यवादार्हं परमात्मानमेवोपासीध्वम् ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! तुम्ही दररोज सर्वव्यापी, न्यायी, दयाळू, संपूर्ण धन्यवाद देण्यायोग्य परमात्म्याचीच उपासना करा. ॥ ८ ॥