Go To Mantra

अध॑ स्म॒ यस्या॒र्चयः॑ स॒म्यक्सं॒यन्ति॑ धू॒मिनः॑। यदी॒मह॑ त्रि॒तो दि॒व्युप॒ ध्माते॑व॒ धम॑ति॒ शिशी॑ते ध्मा॒तरी॑ यथा ॥५॥

English Transliteration

adha sma yasyārcayaḥ samyak saṁyanti dhūminaḥ | yad īm aha trito divy upa dhmāteva dhamati śiśīte dhmātarī yathā ||

Mantra Audio
Pad Path

अध॑। स्म॒। यस्य॑। अ॒र्चयः॑। स॒म्यक्। स॒मऽयन्ति॑। धू॒मिनः॑। यत्। ई॒म्। अह॑। त्रि॒तः। दि॒वि। उप॑। ध्माता॑ऽइव। धम॑ति। शिशी॑ते। ध्मा॒तरि॑। य॒था॒ ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:9» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:1» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:1» Mantra:5


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यस्य) जिस अग्नि के (अर्चयः) तेज (धूमिनः) बहुत धूम से युक्त (संयन्ति) उत्तम प्रकार प्राप्त होते हैं (अध) इसके अनन्तर (यत्) जो (ईम्) सब ओर से (अह) निश्चय ग्रहण करने में (त्रितः) अच्छे प्रकार ले जानेवाला हुआ (दिवि) अन्तरिक्ष में (ध्मातेव) शब्द करनेवाले के सदृश (उप, धमति) शब्द करता है और (यथा) जैसे (ध्मातरी) चलनेवाले में (सम्यक्) उत्तम प्रकार (शिशीते) सूक्ष्म करता है, उससे वैसे (स्म) ही कार्यों को सिद्ध करो ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! सब पदार्थविद्याओं से पहले अग्निविद्या जाननी चाहिये ॥५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यस्याग्नेऽर्चयो धूमिनः संयन्त्यध यद्य ईमह त्रितः सन् दिवि ध्मातेवोप धमति यथा ध्मातरी सम्यक् शिशीते तेन तथा स्म कार्याणि साध्नुवन्तु ॥५॥

Word-Meaning: - (अध) अथ (स्म) (यस्य) (अर्चयः) (सम्यक्) (संयन्ति) (धूमिनः) बहुर्धूमो विद्यते येषान्ते (यत्) यः (ईम्) सर्वतः (अह) विनिग्रहे (त्रितः) संप्लावकः (दिवि) अन्तरिक्षे (उप) (ध्मातेव) धमनकर्त्तेव (धमति) (शिशीते) तनूकरोति (ध्मातरी) अत्र संहितायामिति दीर्घः। (यथा) ॥५॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्याः ! सर्वाभ्यः पदार्थविद्याभ्यः पुराग्निविद्या वेदितव्या ॥५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! सर्व पदार्थविद्येच्या प्रारंभी अग्निविद्या जाणली पाहिजे. ॥ ५ ॥