Go To Mantra

अ॒द्वे॒षो नो॑ मरुतो गा॒तुमेत॑न॒ श्रोता॒ हवं॑ जरि॒तुरे॑व॒याम॑रुत्। विष्णो॑र्म॒हः स॑मन्यवो युयोतन॒ स्मद्र॒थ्यो॒३॒॑ न दं॒सनाप॒ द्वेषां॑सि सनु॒तः ॥८॥

English Transliteration

adveṣo no maruto gātum etana śrotā havaṁ jaritur evayāmarut | viṣṇor mahaḥ samanyavo yuyotana smad rathyo na daṁsanāpa dveṣāṁsi sanutaḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

अ॒द्वे॒षः। नः॒। म॒रु॒तः॒। गा॒तुम्। आ। इ॒त॒न॒। श्रोत॑। हव॑म्। ज॒रि॒तुः। ए॒व॒याम॑रुत्। विष्णोः॑। म॒हः। स॒ऽम॒न्य॒वः॒। यु॒यो॒त॒न॒। स्मत्। र॒थ्यः॑। न। दं॒सना॑। अप॑। द्वेषां॑सि। स॒नु॒तरिति॑ ॥८॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:87» Mantra:8 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:34» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:8


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (समन्यवः) समान क्रोधवाले (मरुतः) मनुष्यो ! आप लोग (एवयामरुत्) बुद्धिमान् मनुष्य के सदृश (नः) हम लोगों को (अद्वेषः) द्वेष से रहित करिये। और (गातुम्) पृथिवी को (आ, इतन) प्राप्त हूजिये तथा हम लोगों के (हवम्) श्रेष्ठ व्यवहार को (श्रोता) सुनिये (जरितुः) स्तुति करने योग्य (विष्णोः) व्यापक के (महः) महत्त्व को (स्मत्) ही (युयोतन) संयुक्त कीजिये और (रथ्यः) वाहनों के चलाने में कुशलों के (न) सदृश (सनुतः) सनातन (दंसना) कर्म्मों को और (अप) दूरीकरण के निमित्त (द्वेषांसि) द्वेषयुक्त कर्मों को संयुक्त कीजिये ॥८॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जो विद्वान् और उपदेशक जन मनुष्यों को द्वेष आदि दोष से रहित करते हैं, वे व्यापक ईश्वर के पद को प्राप्त होते हैं ॥८॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे समन्यवो मरुतो ! यूयमेवयामरुदिव नोऽद्वेषः कुरुत गातुमेतन नो हवं श्रोता जरितुर्विष्णोर्महः स्मद्युयोतन रथ्यो न सनुतर्दंसनाऽप द्वेषांसि युयोतन ॥८॥

Word-Meaning: - (अद्वेषः) द्वेषरहितान् (नः) अस्माकम् (मरुतः) मानवाः (गातुम्) पृथिवीम् (आ) (इतन) प्राप्नुत (श्रोता) शृणुत। अत्र द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (हवम्) प्रशंसनीयं व्यवहारम् (जरितुः) स्तुत्यस्य (एवयामरुत्) (विष्णोः) व्यापकस्य (महः) महत्त्वम् (समन्यवः) समानो मन्युः क्रोधो येषां ते (युयोतन) संयोजयत (स्मत्) एव (रथ्यः) रथेषु साधवः (न) इव (दंसना) कर्म्माणि (अप) दूरीकरणे (द्वेषांसि) द्वेषयुक्तानि कर्म्माणि (सनुतः) सनातनान् ॥८॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । ये विद्वांस उपदेशका मनुष्यान् द्वेषादिदोषरहितान् कुर्वन्ति ते व्यापकस्येश्वरस्य पदं प्राप्नुवन्ति ॥८॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - भावार्थ- या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे विद्वान व उपदेशक माणसांना द्वेष इत्यादी दोषांनी रहित करतात ते व्यापक असलेले ईश्वरपद प्राप्त करतात. ॥ ८ ॥