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प्र ये दि॒वो बृ॑ह॒तः शृ॑ण्वि॒रे गि॒रा सु॒शुक्वा॑नः सु॒भ्व॑ एव॒याम॑रुत्। न येषा॒मिरी॑ स॒धस्थ॒ ईष्ट॒ आ अ॒ग्नयो॒ न स्ववि॑द्युतः॒ प्र स्प॒न्द्रासो॒ धुनी॑नाम् ॥३॥

English Transliteration

pra ye divo bṛhataḥ śṛṇvire girā suśukvānaḥ subhva evayāmarut | na yeṣām irī sadhastha īṣṭa ām̐ agnayo na svavidyutaḥ pra syandrāso dhunīnām ||

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Pad Path

प्र। ये। दि॒वः। बृ॒ह॒तः। शृ॒ण्वि॒रे। गि॒रा। सु॒ऽशुक्वा॑नः। सु॒ऽभ्वः॑। ए॒व॒याम॑रुत्। न। येषा॑म्। इरी॑। स॒धऽस्थे॑। ईष्टे॑। आ। अ॒ग्नयः॑। न। स्वऽविद्यु॑तः। प्र। स्य॒न्द्रासः॑। धुनी॑नाम् ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:87» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:33» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (ये) जो (सुशुक्वानः) उत्तम प्रकार शुद्ध (सुभ्वः) और सुन्दर धर्मयुक्त व्यवहार में होनेवाले (दिवः) कामना करते हुओं वा बिजुली आदिकों को जैसे (स्वविद्युतः) अपने स्वरूप से व्याप्त और (धुनीनाम्) कम्पन क्रिया से युक्त भूमि आदिकों के (स्यन्द्रासः) पिघलते हुए वा पिघलाते हुए (अग्नयः) अग्नियाँ (न) वैसे (गिरा) वाणी से (बृहतः) बड़े (प्र, शृण्विरे) सुनते हैं और (येषाम्) जिनका (एवयामरुत्) विज्ञानवाला मनुष्य (इरी) प्रेरणा करनेवाला (सधस्थे) समान स्थान में (न) जैसे वैसे (प्र, ईष्टे) स्वामी होता है, उनको आप लोग (आ) अच्छे प्रकार जानिये ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! जो विद्या की कामना करनेवाले जन बड़ी विद्याओं को प्राप्त होकर बिजुली आदि पदार्थों को स्वाधीन करते हैं, वे ही सिद्ध इच्छावाले होते हैं ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! ये सुशुक्वानः सुभ्वो दिवः स्वविद्युतो धुनीनां स्यन्द्रासोऽग्नयो न गिरा बृहतः प्र शृण्विरे येषामेवयामरुदिरी सधस्थे न प्रेष्टे तान् यूयमा विजानीत ॥३॥

Word-Meaning: - (प्र) (ये) (दिवः) कामयमानान् विद्युदादीन् वा (बृहतः) महतः (शृण्विरे) शृण्वन्ति (गिरा) वाण्या (सुशुक्वानः) सुष्ठु शुद्धाः (सुभ्वः) ये शोभने धर्म्ये व्यवहारे भवन्ति (एवयामरुत्) (न) निषेधे (येषाम्) (इरी) प्रेरकः (सधस्थे) समानस्थे (ईष्टे) ईशनं करोति (आ) समन्तात् (अग्नयः) पावकाः (न) इव (स्वविद्युतः) स्वेन रूपेण व्याप्तः (प्र) (स्यन्द्रासः) प्रस्रवन्तः प्रस्रावयन्तो वा (धुनीनाम्) कम्पनक्रियावतीनाम् भूम्यादीनाम् ॥३॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! ये विद्याकामा महतीर्विद्याः प्राप्य विद्युदादिपदार्थान् स्वाधीनान् कुर्वन्ति ते एव सिद्धेच्छा जायन्ते ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो! जे विद्येची कामना करतात ते लोक महान विद्या प्राप्त करून विद्युत इत्यादी पदार्थांवर आपले नियंत्रण ठेवतात तेच सिद्धकाम असतात. ॥ ३ ॥