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नी॒चीन॑बारं॒ वरु॑णः॒ कव॑न्धं॒ प्र स॑सर्ज॒ रोद॑सी अ॒न्तरि॑क्षम्। तेन॒ विश्व॑स्य॒ भुव॑नस्य॒ राजा॒ यवं॒ न वृ॒ष्टिर्व्यु॑नत्ति॒ भूम॑ ॥३॥

English Transliteration

nīcīnabāraṁ varuṇaḥ kavandham pra sasarja rodasī antarikṣam | tena viśvasya bhuvanasya rājā yavaṁ na vṛṣṭir vy unatti bhūma ||

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Pad Path

नी॒चीन॑ऽबारम्। वरु॑णः। कव॑न्धम्। प्र। स॒स॒र्ज॒। रोद॑सी॒ इति॑। अ॒न्तरि॑क्षम्। तेन॑। विश्व॑स्य। भुव॑नस्य। राजा॑। यव॑म्। न। वृ॒ष्टिः। वि। उ॒न॒त्ति॒। भूम॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:85» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:30» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर ईश्वर क्या करता है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (वरुणः) श्रेष्ठ परमेश्वर (नीचीनबारम्) नीचे के स्थानों में वृष्टि करनेवाले (कवन्धम्) मेघ को और (रोदसी) अन्तरिक्ष और पृथिवी तथा (अन्तरिक्षम्) जल को (प्र, ससर्ज) उत्तमता से उत्पन्न करता है और (विश्वस्य) सम्पूर्ण (भुवनस्य) ब्रह्माण्ड का (राजा) प्रकाशक परमात्मा (वृष्टिः) वृष्टि (यवम्) यव आदि धान्य को (न) जैसे वैसे (वि, उनत्ति) विशेष करके गीला करता है (तेन) उससे हम लोग सुखी (भूम) होवें ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! आप लोग जगत् के रचनेवाले जगदीश्वर की उपासना करके और राजा होकर जैसे धान्य आदि का मेघ वैसे प्रजाओं का पालन कीजिये ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरीश्वरः किं करोतीत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो वरुणो नीचीनबारं कवन्धं रोदसी अन्तरिक्षं प्र ससर्ज विश्वस्य भुवनस्य राजा वृष्टिर्यवं न व्युनत्ति तेन सह वयं सुखिनो भूम ॥३॥

Word-Meaning: - (नीचीनबारम्) यो नीचप्रदेशे वृष्टिं करोति तम् (वरुणः) परमेश्वरः (कवन्धम्) मेघम् (प्र) (ससर्ज) सृजति (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ (अन्तरिक्षम्) जलम् (तेन) (विश्वस्य) सर्वस्य (भुवनस्य) ब्रह्माण्डस्य (राजा) प्रकाशकः (यवम्) यवादिधान्यम् (न) इव (वृष्टिः) (वि) (उनत्ति) क्लेदयति (भूम) भवेम ॥३॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! यूयं जगत्स्रष्टारं जगदीश्वरमुपास्य राजानो भूत्वा शस्यादि मेघवत्प्रजाः पालयत ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो! तुम्ही जगाची निर्मिती करणाऱ्या जगदीश्वराची उपासना करा. मेघ जसा धान्य वगैरेने सर्वांचे पालन करतो तसे राजा बनून प्रजेचे पालन करा. ॥ ३ ॥