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र॒थीव॒ कश॒याश्वाँ॑ अभिक्षि॒पन्ना॒विर्दू॒तान्कृ॑णुते व॒र्ष्याँ॒३॒॑ अह॑। दू॒रात्सिं॒हस्य॑ स्त॒नथा॒ उदी॑रते॒ यत्प॒र्जन्यः॑ कृणु॒ते व॒र्ष्यं१॒॑ नभः॑ ॥३॥

English Transliteration

rathīva kaśayāśvām̐ abhikṣipann āvir dūtān kṛṇute varṣyām̐ aha | dūrāt siṁhasya stanathā ud īrate yat parjanyaḥ kṛṇute varṣyaṁ nabhaḥ ||

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Pad Path

र॒थीऽइ॑व। कश॑या। अश्वा॑न्। अ॒भि॒ऽक्षि॒पन्। आ॒विः। दू॒तान्। कृ॒णु॒ते॒। व॒र्ष्या॑न्। अह॑। दू॒रात्। सिं॒हस्य॑। स्त॒नथाः॑। उत्। ई॒र॒ते॒। यत्। प॒र्जन्यः॑। कृ॒णु॒ते। व॒र्ष्य॑म्। नभः॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:83» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:27» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या जानना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! (यत्) जो (पर्जन्यः) मेघ (कशया) मारने के लिये रस्सी अर्थात् कोड़े से (अश्वान्) घोड़ों को (अभिक्षिपन्) सन्मुख लाता हुआ (रथीव) बहुत रथवाले के सदृश (वर्ष्यान्) वर्षाओं में श्रेष्ठ (दूतान्) दूतों को (आवि, कृणुते) प्रकट करता है (अह) परतन्त्र करने में वे (दूरात्) दूर से (सिंहस्य) सिंह के सदृश (उत्, ईरते) कम्पाते वा चलते हैं और पर्जन्य (वर्ष्यम्) वर्षाओं में हुए (नभः) अन्तरिक्ष को (कृणुते) करता अर्थात् प्रकट करता है, उसको आप (स्तनथाः) पुकारिये ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जैसे सारथी घोड़ों को यथेष्ट स्थान में ले जाने को समर्थ होता है, वैसे ही मेघ जलों को इधर-उधर ले जाता है ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं वेदितव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यद्यः पर्जन्यः कशयाऽश्वानभिक्षिपन् रथीव वर्ष्यान् दूतानाविष्कृणुतेऽह ते दूरात् सिंहस्येवोदीरते पर्जन्यो वर्ष्यन्नभः कृणुते तं त्वं स्तनथाः ॥३॥

Word-Meaning: - (रथीव) बहवो रथा विद्यन्ते यस्य तद्वत् (कशया) ताडनार्थरज्वा (अश्वान्) तुरङ्गान् (अभिक्षिपन्) आभिमुख्ये प्रेरयन् (आविः) प्राकट्ये (दूतान्) (कृणुते) करोति (वर्ष्यान्) वर्षासु साधून् (अह) विनिग्रहे (दूरात्) (सिंहस्य) (स्तनथाः) शब्दयेः (उत्) (ईरते) कम्पयन्ति गच्छन्ति वा (यत्) यः (पर्जन्यः) मेघः (कृणुते) (वर्ष्यम्) वर्षासु भवम् (नभः) अन्तरिक्षम् ॥३॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । यथा सारथिरश्वान् यथेष्टं स्थानं नेतुं शक्नोति तथैव मेघो घनानीतस्ततो नयति ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसा सारथी घोड्यांना योग्य स्थानी घेऊन जाण्यास समर्थ असतो तसेच मेघ जलाला इकडे तिकडे घेऊन जातात. ॥ ३ ॥