Go To Mantra

उ॒तेशि॑षे प्रस॒वस्य॒ त्वमेक॒ इदु॒त पू॒षा भ॑वसि देव॒ याम॑भिः। उ॒तेदं विश्वं॒ भुव॑नं॒ वि रा॑जसि श्या॒वाश्व॑स्ते सवितः॒ स्तोम॑मानशे ॥५॥

English Transliteration

uteśiṣe prasavasya tvam eka id uta pūṣā bhavasi deva yāmabhiḥ | utedaṁ viśvam bhuvanaṁ vi rājasi śyāvāśvas te savita stomam ānaśe ||

Mantra Audio
Pad Path

उ॒त। ई॒शि॒षे॒। प्र॒ऽस॒वस्य॑। त्वम्। एकः॑। इत्। उ॒त। पू॒षा। भ॒व॒सि॒। दे॒व॒। याम॑ऽभिः। उ॒त। इ॒दम्। विश्व॑म्। भुव॑नम्। वि। रा॒ज॒सि॒। श्या॒वऽअ॑श्वः। ते॒। स॒वि॒त॒रिति॑। स्तोम॑म्। आ॒न॒शे॒ ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:81» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:24» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:5


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर ईश्वरविषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (सवितः) सत्य व्यवहार में प्रेरणा करने और (देव) सम्पूर्ण सुखों के देनेवाले (ते) आपका जो (श्यावाश्वः) सूर्यलोक (यामभिः) प्रहरों से (स्तोमम्) प्रशंसा को (आनशे) व्याप्त होता है, उसके दृष्टान्त से (उत) भी (इदम्) इस (विश्वम्) समस्त (भुवनम्) भुवन को (त्वम्) आप (वि, राजसि) प्रकाशित करते हो (उत) और (पूषा) पुष्टि करनेवाले (भवसि) होते हो (उत) और (एकः) द्वितीयरहित (इत्) ही (प्रसवस्य) उत्पन्न हुए जगत् के (ईशिषे) ऐश्वर्य का विधान करते हो ॥५॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जिसके महत्त्व के जनाने के लिये सूर्य्य आदि लोक दृष्टान्त हैं, उसी सम्पूर्ण परमैश्वर्य के देनेवाले का तुम ध्यान करो ॥५॥ इस सूक्त में सत्य व्यवहार में प्रेरणा करनेवाले ईश्वर के गुणों का वर्णन करने से इस सूक्त के अर्थ की इस से पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह इक्यासीवाँ सूक्त और चौबीसवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरीश्वरविषयमाह ॥

Anvay:

हे सवितर्देव ! ते यः श्यावाश्वो यामभिः स्तोममानशे तद्दृष्टान्तेनोतेदं विश्वं भुवनं त्वं वि राजसि उत पूषा भवसि उतैक इदेव प्रसवस्येशिषे ॥५॥

Word-Meaning: - (उत) (ईशिषे) ऐश्वर्य्यं विदधासि (प्रसवस्य) प्रसूतस्य जगतः (त्वम्) (एकः) अद्वितीयः (इत्) एव (उत) अपि (पूषा) पुष्टिकर्ता (भवसि) (देव) सकलसुखप्रदातः (यामभिः) प्रहरैः (उत) (इदम्) (विश्वम्) (भुवनम्) (वि) (राजसि) (श्यावाश्वः) सूर्य्यलोकः (ते) तव (सवितः) सत्यव्यवहारे प्रेरक (स्तोमम्) प्रशंसाम् (आनशे) व्याप्नोति ॥५॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यस्य महिमज्ञापनाय सूर्य्यादयो लोका दृष्टान्ताः सन्ति तमेवाखिलं परमैश्वर्य्यप्रदं यूयं ध्यायतेति ॥५॥ अत्र सवित्रीश्वरगुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इत्येकाशीतितमं सूक्तं चतुर्विंशो वर्गश्च समाप्तः ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो! ज्याचे महत्त्व जाणण्यासाठी सूर्य इत्यादी गोल दृष्टान्त आहेत. त्याच परम ऐश्वर्य देणाऱ्याचे तुम्ही ध्यान करा. ॥ ५ ॥