Go To Mantra

ए॒षा प्र॑ती॒ची दु॑हि॒ता दि॒वो नॄन्योषे॑व भ॒द्रा नि रि॑णीते॒ अप्सः॑। व्यू॒र्ण्व॒ती दा॒शुषे॒ वार्या॑णि॒ पुन॒र्ज्योति॑र्युव॒तिः पू॒र्वथा॑कः ॥६॥

English Transliteration

eṣā pratīcī duhitā divo nṝn yoṣeva bhadrā ni riṇīte apsaḥ | vyūrṇvatī dāśuṣe vāryāṇi punar jyotir yuvatiḥ pūrvathākaḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

ए॒षा। प्र॒ती॒ची। दु॒हि॒ता। दि॒वः। नॄन्। योषा॑ऽइव। भ॒द्रा। नि। रि॒णी॒ते॒। अप्सः॑। वि॒ऽऊ॒र्ण्व॒ती। दा॒शुषे॑। वार्या॑णि। पुनः॑। ज्योतिः॑। यु॒व॒तिः। पू॒र्वऽथा॑। अ॒क॒रित्य॑कः ॥६॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:80» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:23» Mantra:6 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे शुभ लक्षणोंवाली स्त्रि ! जैसे (एषा) यह प्रातर्वेला (दिवः) सूर्य्य की (दुहिता) कन्या के सदृश (नॄन्) अग्रणी श्रेष्ठ पुरुषों को (योषेव) स्त्री के सदृश (भद्रा) कल्याण करनेवाली (प्रतीची) पश्चिम दिशा को प्राप्त (अप्सः) सुन्दर रूप को (नि, रिणीते) अत्यन्त प्राप्त होती है और (दाशुषे) देनेवाले के लिये (वार्याणि) स्वीकार करने योग्य धन आदि को (व्यूर्ण्वती) विशेष करके आच्छादित करती हुई (पूर्वथा) पहिली के सदृश (पुनः) फिर (ज्योतिः) ज्योतिःरूप को (युवतिः) प्राप्त यौवनावस्थावाली के सदृश (अकः) करती है, वैसी तुम होओ ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमा और वाचकलुप्तोपमालङ्कार हैं। जो स्त्रियाँ शुभ आचरणवालीं और युवावस्था को प्राप्त हुईं अपने सदृश पतियों को प्राप्त होकर सम्पूर्ण गृहकृत्यों को व्यवस्थापित करती हैं, वे प्रातर्वेला के सदृश अत्यन्त शोभित होती हैं ॥६॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे शुभलक्षणे स्त्रि ! यथैषोषा दिवो दुहिता नॄन् योषेव भद्रा प्रतीच्यप्सो नि रिणीते दाशुषे वार्याणि व्यूर्ण्वती पूर्वथा पुनर्ज्योतिर्युवतिरिवाकस्तथा त्वं भव ॥६॥

Word-Meaning: - (एषा) (प्रतीची) पश्चिमदिशां प्राप्ता (दुहिता) कन्येव (दिवः) सूर्य्यस्य (नॄन्) नायकान् श्रेष्ठान् पुरुषान् (योषेव) (भद्रा) कल्याणकारिणी (नि) (रिणीते) गच्छति (अप्सः) सुरूपम् (व्यूर्ण्वती) विशेषणाच्छादयन्ती (दाशुषे) दात्रे (वार्याणि) वर्त्तुमर्हाणि धनादीनि (पुनः) (ज्योतिः) (युवतिः) प्राप्तयौवनावस्थेव (पूर्वथा) पूर्वा इव (अकः) करोति ॥६॥
Connotation: - अत्रोपमावाचकलुप्तोपमालङ्कारौ । याः स्त्रियो भद्राचाराः प्राप्तयुवावस्थाः स्वसदृशान् पतीन् प्राप्य सर्वाणि गृहकृत्यानि व्यवस्थापयन्ति ता उषर्वत्सुशोभन्त इति ॥६॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. ज्या स्त्रिया चांगले आचरण करून युवावस्थेत आपल्यासारख्याच पतीला प्राप्त करून संपूर्ण गृहकृत्याचे व्यवस्थापन करतात त्या प्रातर्वेळेप्रमाणे शोभून दिसतात. ॥ ६ ॥