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तेभ्यो॑ द्यु॒म्नं बृ॒हद्यश॒ उषो॑ मघो॒न्या व॑ह। ये नो॒ राधां॒स्यश्व्या॑ ग॒व्या भज॑न्त सू॒रयः॒ सुजा॑ते॒ अश्व॑सूनृते ॥७॥

English Transliteration

tebhyo dyumnam bṛhad yaśa uṣo maghony ā vaha | ye no rādhāṁsy aśvyā gavyā bhajanta sūrayaḥ sujāte aśvasūnṛte ||

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Pad Path

तेभ्यः॑। द्यु॒म्नम्। बृ॒हत्। यशः॑। उषः॑। म॒घो॒नि॒। आ। व॒ह॒। ये। नः॒। राधां॑सि। अश्व्या॑। ग॒व्या। भज॑न्त। सू॒रयः॑। सु॒ऽजाते। अश्व॑ऽसूनृते ॥७॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:79» Mantra:7 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:22» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अश्वसूनृते) बड़े ज्ञान से युक्त और (सुजाते) उत्तम विद्या से प्रकट हुई (मघोनि) बहुत धनवती (उषः) प्रातःकाल के सदृश वर्त्तमान विदुषि स्त्रि ! (ये) जो (नः) हम लोगों में (सूरयः) विद्वान् जन (अश्व्या) घोड़ों के लिये और (गव्या) गौओं के लिये हितकारक (राधांसि) धनों का (भजन्त) सेवन करते हैं (तेभ्यः) उन विद्वानों के लिये (बृहत्) बड़े (द्युम्नम्) धन और (यशः) यश को (आ, वह) सब प्रकार से प्राप्त कराओ ॥७॥
Connotation: - जो विद्वान् जन सब के सुख के लिये पदार्थों की वृद्धि करते हैं, वे प्रातःकाल के सदृश प्रकाशित यशवाले होकर सुखी होते हैं ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अश्वसूनृते सुजाते मघोन्युषर्वद्विदुषि स्त्रि ! ये नः सूरयोऽश्व्या गव्या राधांसि भजन्त तेभ्यो बृहद् द्युम्नं यशश्चाऽऽवह ॥७॥

Word-Meaning: - (तेभ्यः) विद्वद्भ्यः (द्युम्नम्) धनम् (बृहत्) महत् (यशः) कीर्त्तिम् (उषः) उषर्वद्वर्त्तमाने (मघोनि) बहुधनयुक्ते (आ) (वह) समन्तात्प्रापय (ये) (नः) अस्माकम् (राधांसि) (अश्व्या) अश्वेभ्यो हितानि (गव्या) गोभ्यो हितानि (भजन्त) सेवन्ते (सूरयः) विद्वांसः (सुजाते) (अश्वसूनृते) ॥७॥
Connotation: - ये विद्वांसो सर्वसुखाय पदार्थानुन्नयन्ति त उषर्वत्प्रकाशकीर्त्तयो भूत्वा सुखिनो जायन्ते ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे विद्वान सर्वांच्या सुखासाठी पदार्थांची वृद्धी करतात ते प्रातःकाळाप्रमाणे प्रकाशित होऊन यश मिळवून सुखी होतात. ॥ ७ ॥